मल्टीपल मायलोमा क्या है? What is multiple myeloma?
मल्टीपल मायलोमा (Multiple myeloma) एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जिसमें शरीर की प्लाज्मा कोशिकाओं में असामान्य बढ़ोतरी होती है। प्लाज्मा कोशिकाएं सामान्यतया इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए होती हैं, लेकिन इस बीमारी में ये कोशिकाएं हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करने लगती हैं। डॉ. राहुल भार्गव ने इस बीमारी के बारे में बताया, “यह बीमारी आमतौर पर 60 साल की उम्र के बाद अधिक होती है, लेकिन भारत में इसके मामले 50 की उम्र के बाद भी देखने को मिल रहे हैं।”Multiple myeloma : लक्षण और पहचान
मल्टीपल मायलोमा (Multiple myeloma) के लक्षण अक्सर शुरुआती दौर में स्पष्ट नहीं होते, लेकिन हड्डियों में दर्द, कमजोरी, थकान, और बार-बार संक्रमण इसका संकेत हो सकते हैं। आमतौर पर रक्त परीक्षण और बोन मैरो परीक्षण के माध्यम से इसका निदान किया जाता है। यह भी पढ़ें : वजन घटाना चाहते हैं? इन सफेद चीजों से हमेशा के लिए बना लें दूरी
Multiple myeloma इलाज और जीवन की उम्मीद
मल्टीपल मायलोमा (Multiple myeloma) का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कीमोथेरेपी और आधुनिक दवाइयों की मदद से मरीज 5 से 7 साल तक जी सकते हैं और कुछ मामलों में 10-15 साल तक भी जीवन का विस्तार हो सकता है। डॉ. राहुल भार्गव का कहना है, आज बाजार में कई नई दवाइयां उपलब्ध हैं जिनसे इस बीमारी को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। पहले इस बीमारी के मरीज दो से तीन साल तक ही जीवित रह पाते थे, लेकिन अब स्थिति बेहतर है।”बोन मैरो ट्रांसप्लांट से जीवन विस्तार
बोन मैरो ट्रांसप्लांट मल्टीपल मायलोमा (Multiple myeloma) के मरीजों के लिए एक प्रभावी उपचार विकल्प है। इससे मरीजों की जीवन प्रत्याशा 3 से 4 गुना तक बढ़ सकती है। डॉ. भार्गव का मानना है कि “हर मल्टीपल मायलोमा के मरीज का 70 साल की उम्र तक बोन मैरो ट्रांसप्लांट होना चाहिए। इससे उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।” यह भी पढ़ें : 5 लक्षण जो Stage 0 Cancer का संकेत दे सकते हैं, न करें नजरअंदाज