मैग्नीशियम एक इलेक्ट्रोलाइट है जो शरीर की मांसपेशियों के लिए जरूरी है। मैग्निशयम, पोटेशियम और कैल्शियम ले जाकर मांसपेशियों और तंत्रिका कार्य को रेगुलेट करने में मदद करता है। शरीर में जब भी मैग्नीशियम की कमी होती है तब मसल्स या हडि्डयों में मरोड़, क्रेंप्स और दर्दनाक जकड़न की समसस्या समाने आती है।.
मैग्नीशियम की कमी से स्ट्रेस, एग्जाइटी, डिप्रेशन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। कई बार मानिसक समस्याएं भी इस मिनरल्स की कमी का कारण बनती हैं। दिल पर दबाव- pressure on heart
मैग्नीशियम की कमी से शरीर में ब्लड प्रेशर का दबाव बढ़ता है और इससे दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। मैग्नेशियम की कमी दिल पर प्रेशर बढ़ाती है। कई बार इसके कारण लो बीपी तो कई बार हाई बीपी की समस्या होती हैं। वहीं ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और इंसुलिन लेवल कंट्रोल होने में भी दिक्कत आती है।
मैग्नीशियम की कमी से आपको एनर्जी की कमी महसूस होगी। आपको आराम करने के बाद भी थकावट लगती रहेगी। अगर ज्यादा काम न करने से भी आपको इस तरह का लक्षण दिखाई देता है तो आपको अपने मैग्नीशियम लेवल की अवश्य जांच करानी चाहिए।
बार-बार होने वाले सिरदर्द भी मैग्नीशियम की कमी हो सकती है। मैग्नीशियम की कमी से आपके शरीर में सेरोटोनिन का बनना कम हो जाता है। इससे दिमाग को सही मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता। जब सही से ब्लड का संचार नहीं होता तो सिर में दर्द या माइग्रेन का खतरा बढ़ता है।
कई बार लोगों में देखा गया है कि आराम और थकान होने के बावजूद नींद नहीं आती है। मैग्नीशियम की कमी से आपको कम नींद आने लगती है। मैग्नीशियम की कमी से स्ट्रेस हो सकता है, दिल की धड़कने बढ़ सकती है और आपको सोने में मुश्किल आ सकती है।
अक्सर लोगों को यह पता होता है कि डायट में फाइबर की मात्रा होने पर कब्ज की समस्या नहीं होती है। लेकिन अगर पर्याप्त फाइबर के बाद भी कब्ज की समस्या हो रही है तो यह मैग्नीशियम की कमी से भी हो सकता है। पाचन की अधिकतर दवाओं में मैग्नीशियम इसीलिए होता है क्योंकि यह पाचन का सबसे अहम मिनरल है।