कोरोना संक्रमण से ग्रस्त वो लोग जो हॉस्पिटल या होम आइसोलेशन में रह चुके हैं उनमें से करीब 80-90 फीसदी लोगों में कोविड टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी कोविड से जुड़ी समस्याएं परेशान करती हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) ने पाया कि कोविड के बाद उन लाेगों में कोविड के लक्षण नजर ज्यादा आ रहे जो डायगिटीज या मोटापाग्रस्त रहे हैं। इन सारे ही लोगों में पोस्ट एक्यूट सीक्वेल विकसित होने की संभावना दिखी और यही लॉन्ग कोविड के रूप में जाना जाता है।
कोरोना संक्रमण के खतरे से बाहर आने के बाद भी लोगों में कोरोना से जुड़ी परेशनियां नजर आती है और इसके पीछे वायरस का म्यूटेशन और मरीज के शरीर में हुई क्षति के कारण होता है। शरीर में वायरस ने कितनी क्षति पहुंचाई और किन बीमारियों में वायस का अटैक ज्यादा गंभीर रहा, यह इस पर निर्भर करता है। पहली लहर से दूसरी लहर ज्यादा गंभीर थी और यही कारण है कि इस लहर की चेपट में आए लोगों में तमाम तरह की समस्याएं लंबे समय तक कायम रही हैं।