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चोट के बाद यूरिन संबंधी समस्या को नजरअंदाज न करें

सडक़ हादसे या किसी अन्य तरह की चोट के बाद पुरुषों में अचानक यूरिन संबंधी समस्या हुई है तो 90 फीसदी यूरिन स्ट्रिक्चर यानि पेशाब नली के कटने या डैमेज होना इसका कारण होता है। यूरिनरी स्ट्रिक्चर में यूरिन की नली चोट लगने पर कट जाती है और यूरिन पास नहीं होता है जिससे भीतर ही भीतर संक्रमण फैलने लगता है।

Oct 25, 2018 / 07:01 pm

manish singh

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चोट के बाद यूरिन संबंधी समस्या को नजरअंदाज न करें

सडक़ हादसे या किसी अन्य तरह की चोट के बाद पुरुषों में अचानक यूरिन संबंधी समस्या हुई है तो 90 फीसदी यूरिन स्ट्रिक्चर यानि पेशाब नली के कटने या डैमेज होना इसका कारण होता है। यूरिनरी स्ट्रिक्चर में यूरिन की नली चोट लगने पर कट जाती है और यूरिन पास नहीं होता है जिससे भीतर ही भीतर संक्रमण फैलने लगता है।

बीस सेमी. लंबी होता है यूरेथ्रा

पुरुषों में यूरेथ्रा (पेशाब नली की लंबाई) करीब बीस सेमी. जबकि महिलाओं में करीब चार सेमी. होती है। चोट लगने या कूल्हे की हड्डी टूटने पर यूरेथ्रा डैमेज होता है। स्ट्रिक्चर दो सेमी. तक का है तो दूरबीन से ऑपरेट कर ठीक करते हैं। दो सेमी. से अधिक है तो बड़े ऑपरेशन से चीरा लगाकर इलाज करते हैं।

गाल की त्वचा से करते ग्राफ्टिंग

स्ट्रिक्चर दूर करने के लिए यूरेथ्रोप्लास्टी करते हैं। इसमें रोगी के गाल के भीतर की त्वचा जिसे म्यूकोसा कहा जाता है उससे नया यूरेथ्रा बनाकर खराब हो चुके यूरेथ्रा को निकाल दोनों हिस्सों के बीच जोड़ते हैं। जीभ के निचले हिस्से जिसे बकल म्यूकोसा कहते हैं उस त्वचा की ग्राफ्टिंग से पेशाब की नई नली बनाई जाती है।

गुुटखा खाने वालों में थोड़ी मुश्किल

जो लोग गुटखा, पान मसाला, तंबाकू या सिगरेट पीते हैं उन्हें स्ट्रिक्चर की समस्या हुई तो उनके गाल की म्यूकोसा का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। इसका कारण है पान मसाला खाने की वजह से म्यूकोसा की ऊपरी परत खराब हो जाती है। इससे यूरेथ्रोप्लास्टी करने से संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में ब्लैडर के कुछ हिस्से को काटकर यूरेथ्रा बनाते हैं।

इन लक्षणों को पहचान लें

इंजरी होने के बाद यूरिन का अचानक से बंद हो जाना, पेट फूलने लगना, पेशाब के रास्ते खून आना, पेट में तेज असहनीय दर्द के साथ बहुत अधिक बेचैनी और घबराहट होना इस समस्या के प्रमुख लक्षण हैं।

इमरजेंसी में ऐसे देते हैं राहत

स्ट्रिक्चर होने पर राहत के लिए पेट में छोटा छेद कर ब्लैडर में पाइप लगाकर यूरिन पास कराते हैं। सडक़ हादसे में घायल मरीज को बारह घंटे तक यूरिन पास नहीं हुआ तो एंडोस्कोप से कैथेटर डालकर यूरिन पास कराते हैं।

मरीज की ये जांचें की जाती हैं

स्ट्रिक्चर पता करने के लिए रेट्रोग्रेड यूरेथ्रोस्कोपी जांच करते हैं। इसमें रोगी के पेशाब के रास्ते दवा डालकर एक्स-रे करते हैं जिससे भीतर की पूरी चीज साफ दिखती है। कई बार अल्ट्रासाउंड जांच से भी ब्लैडर और यूरेटर को देखते हैं। किसी कारण से दोबारा चोट लग गई तो दूरबीन से ‘री-डू यूरेथ्रोप्लास्टी’ तकनीक से तकलीफ ठीक करते हैं।

डॉ. मनीष गुप्ता, नेफ्रोलॉजिस्ट महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर

डॉ. ईश्वर राम ध्याल, यूरो सर्जन, लोहिया संस्थान, लखनऊ

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