Alzheimer : एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या
अल्जाइमर, मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का सबसे सामान्य रूप है और यह 60 से 70 प्रतिशत मामलों का हिस्सा है। दुनियाभर में करीब 5.5 करोड़ लोग मनोभ्रंश से पीड़ित हैं, जिनमें से अधिकांश अल्जाइमर रोग से प्रभावित हैं। यह बीमारी मस्तिष्क में कुछ हार्मोनों के असंतुलन के कारण होती है और धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करती है।
हाई सिंथेटिक यील्ड और नई प्रतिक्रिया तकनीक
अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने सिंथेटिक, कम्प्यूटेशनल और इन-विट्रो अध्ययनों का उपयोग करके नए गैर-विषाक्त अणुओं को विकसित किया है। यह प्रक्रिया एक तेज एक-पॉट, तीन-घटक प्रतिक्रिया का उपयोग करती है, जिससे हाई सिंथेटिक यील्ड वाले अणुओं का निर्माण संभव हो सका। इन अणुओं की प्रभावशीलता और साइटोटॉक्सिसिटी को इन-विट्रो स्क्रीनिंग विधियों के माध्यम से परखा गया।
कोलिनेस्टरेज एंजाइमों पर अणुओं का प्रभाव
वैज्ञानिकों ने पाया कि ये अणु कोलिनेस्टरेज एंजाइमों के खिलाफ प्रभावी हैं, जो शरीर में एसिटाइलकोलाइन नामक रासायनिक संदेशवाहक की उपलब्धता को बढ़ाते हैं। यह रसायन याददाश्त को सुधारने में सहायक है, और इसका उपयोग अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। इन अणुओं ने अमीनो एसिड के साथ संपर्क में आने पर एंजाइमों के पैक में स्थिरता भी दिखाई, जो इसके प्रभावी होने का एक बड़ा संकेत है।
नई दोहरी एंटी कोलीनेस्टेरेज दवाओं के लिए संभावनाएं
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन अणुओं का उपयोग एडी (अल्जाइमर डिजीज) के इलाज के लिए अन्य दवाओं के साथ संयोजन में दोहरी एंटी कोलीनेस्टेरेज दवाओं को विकसित करने में किया जा सकता है। इस प्रकार के उपचार से अल्जाइमर और अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के लिए अधिक प्रभावी उपचार के विकल्प तैयार किए जा सकते हैं।
शोधकर्ताओं का दृष्टिकोण: भविष्य की संभावनाएं
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह खोज अल्जाइमर (Alzheimer) रोग के उपचार में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन नए अणुओं को और अधिक अनुकूलित कर प्रभावी एंटी-एडी लिगैंड के रूप में विकसित किया जा सकता है। अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट का यह शोध दुनियाभर के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक प्रेरणा है और भविष्य में इस क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण खोजें हो सकती हैं।