देश में अभी भी कोरोना का खतरा टला नहीं, 24 घंटे में 62375 मामले सामने आए
भारत में पाया जाने वाला एक खास रेशम कीट एंडीमिक एनथेरा ऐसेमेन्सिस से बनने वाला म्यूगा रेशम प्रोटीनयुक्त एक बायोपॉलीमर है। इस रेशम का उपयोग कर भारतीय शोधार्थी श्रेया मेहरोत्रा ने हृदय की सर्जरी में प्रत्यारोपित किए जाने वाले ऊतक बनाने में सफलता पाई है। वे तमिलनाडु के वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी की टिश्यू इंजीनियरिंग की शोधार्थी हैं। ‘फुल ब्राइट नेहरु स्कॉलर’ और जैव प्रौद्योगिकी में बीटेक श्रेया म्यूगा रेशम से मानव ऊतक बनाने पर शोध कर रही हैं। वह म्यूगा सिल्क से विभिन्न बीमारियों से पीडि़त रोगियों को बचाने के लिए काम कर रही हैं। इसमें मस्कुलर डायस्ट्रॉफी और हृदयाघात आदि शामिल हैं।कोरोना से जंग कैसे जीते भारत, विशेषज्ञों ने दिए 8 सुझाव और कहा- तुरंत अमल में लाएं
म्यूगा की खूबियां खोजीआइआइटी गुवाहाटी में पीएचडी करने के दौरान उन्होंने हृदय की मांसपेशियों के ऊतकों को फिर बनाने के लिए बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित किया। श्रेया कहती हैं कि म्यूगा सिल्क में बहुउद्देशीय गुण हैं जो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले किसी अन्य पदार्थ में नहीं होता। इसमें शारीरिक गति, जैव-रसायन, कम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और आंतरिक कोशिकीय-बंधन को मजबूती देने के गुण मौजूद हंै। श्रेया ने पूरी तरह से काम करने वाले ‘रेशम कार्डियक पैच’ बनाने की तकनीक विकसित करने में भी सफलता अर्जित की है।
श्रेया का कहना है कि पूरी तरह से काम करने वाला हृदय ऊतक बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने अपने शोध के दौरान एक स्वचालित 3डी बायोप्रिङ्क्षटग प्रोसेस का उपयोग कर कृत्रिम म्यूगा कार्डियक पैच विकसित किया। यह पैच आसानी से हृदय रोगी में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। श्रेया ने कृत्रिम टिश्यू (कॉर्डियक पैच परीक्षण) का कई छोटे जानवरों पर परीक्षण भी किया है। उनका अगला कदम इन ऊतकों का सही मैच विकसित करना है।