स्वास्थ्य

PCOS और मोटापे का कनेक्शन, मां की सेहत का बच्चों पर गहरा असर

PCOS and pregnancy : NTNU द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और मोटापे से प्रभावित महिलाओं के बच्चे जन्म के समय वजन, लंबाई और सिर के घेर में छोटे होते हैं।

नई दिल्लीNov 07, 2024 / 02:41 pm

Manoj Kumar

PCOS and pregnancy

PCOS and pregnancy : र्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NTNU) द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और मोटापा से प्रभावित महिलाओं के बच्चों का जन्म वजन, लंबाई और सिर का घेरा कम होता है। PCOS एक हार्मोनल विकार है जो हर आठ में से एक महिला को प्रभावित करता है, जिसमें पुरुष सेक्स हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, मासिक चक्र अनियमित होता है, और अंडाशय पर छोटे सिस्ट बन जाते हैं।

PCOS and pregnancy : अध्ययन का विवरण और निष्कर्ष

अध्ययन में 390 बच्चों की तुलना नॉर्वेजियन मदर, फादर और चाइल्ड कोहॉर्ट स्टडी (MoBa) से प्राप्त 70,000 बच्चों से की गई। यह पाया गया कि PCOS से प्रभावित महिलाओं के बच्चे औसतन कम वजन के होते हैं, उनकी लंबाई कम होती है और उनके सिर का घेरा भी छोटा होता है। खासकर मोटापे से ग्रस्त महिलाओं के बच्चों में ये प्रभाव अधिक स्पष्ट होते हैं। सामान्य वजन वाली महिलाओं में भी, जिनके पास PCOS है, उनके बच्चों का जन्म वजन अन्य महिलाओं की तुलना में कम पाया गया।

मोटापा और पीसीओएस: एक जटिल संयोजन

एनटीएनयू के क्लीनिकल और मॉलिक्यूलर मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर एस्तर वैंकी ने बताया कि सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में मोटापे से ग्रस्त पीसीओएस महिलाओं के बच्चों का जन्म वजन, लंबाई और सिर का घेरा विशेष रूप से कम पाया गया। PCOS के कारण महिलाओं में मोटापे और गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने की प्रवृत्ति अधिक होती है। करीब 25 प्रतिशत महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह भी विकसित हो जाता है।
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प्लेसेंटा का “ओवरड्राइव” मोड में काम करना

मैरन टाल्मो और इन्गविल्ड फ्लोयसैंड, जिन्होंने यह अध्ययन अपने मास्टर थीसिस के रूप में किया, ने बताया कि PCOS से प्रभावित महिलाओं में प्लेसेंटा आकार में छोटा होता है, लेकिन यह बच्चे की शारीरिक आवश्यकताओं के हिसाब से पोषक तत्वों को पहुंचाने के लिए बहुत अधिक कार्य करता है। कभी-कभी, प्लेसेंटा इन जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता, जिससे प्लेसेंटल इनसफिशिएंसी और दुर्लभ मामलों में भ्रूण मृत्यु हो सकती है।

भविष्य में बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव:

वैज्ञानिकों ने कुछ बच्चों की स्थिति को 7 वर्ष की उम्र तक फॉलो किया। परिणाम बताते हैं कि PCOS से प्रभावित महिलाओं के बच्चों में पेट का मोटापा और अधिक BMI पाया गया। अनुसंधान से यह भी स्पष्ट हुआ है कि कम जन्म वजन वाले बच्चों में टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों के विकास का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों में स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को देखते हुए डॉक्टर उनके जीवनशैली और आहार पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं।
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गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य देखभाल का महत्व

PCOS से ग्रसित गर्भवती महिलाओं के लिए वज़न को नियंत्रित करने और गर्भावस्था के दौरान ब्लड ग्लूकोज की निगरानी करने की आवश्यकता होती है। NTNU के वैज्ञानिक बच्चों के स्वास्थ्य पर माताओं की स्थिति का गहरा अध्ययन कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान विशेष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें।

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