Mysteries of the Baby Brain : मस्तिष्क विज्ञान में भारत का अभूतपूर्व योगदान
सुधा गोपालकृष्णन ब्रेन सेंटर द्वारा विकसित यह तकनीक मानव मस्तिष्क (Human brain) के अध्ययन को नई ऊंचाइयों पर ले गई है। 5,132 मस्तिष्क खंडों को डिजिटल रूप से कैप्चर करने का यह पहला प्रयास है, जो न्यूरोसाइंस और विकास संबंधी विकारों के उपचार में क्रांति ला सकता है।कम लागत, अधिक प्रभाव
यह परियोजना पश्चिमी देशों की तुलना में दस गुना कम लागत पर पूरी की गई, जो भारतीय अनुसंधान की कुशलता और क्षमता को दर्शाती है। इस पहल में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, रोमानिया, और दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं ने मिलकर योगदान दिया।भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह शोध?
एक अरब से अधिक जनसंख्या वाले देश में भारत हर साल लगभग 25 मिलियन बच्चों का जन्म दर्ज करता है। भ्रूण से किशोरावस्था तक मस्तिष्क के विकास को समझने और विकास संबंधी विकारों जैसे ऑटिज़्म और सीखने की अक्षमता का निदान करने के लिए यह शोध अहम है। विशेष चिकित्सा लाभ यह शोध भ्रूण की प्रारंभिक अवस्था में ही विकासात्मक विकारों का निदान और उपचार संभव बनाएगा। इस डेटा का उपयोग चिकित्सा और विज्ञान के नए आयाम खोलने में किया जा सकेगा।
वैश्विक शोध के लिए धरोहर
जर्नल ऑफ कंपरेटिव न्यूरोलॉजी में विशेष अंक इस परियोजना के निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ कंपरेटिव न्यूरोलॉजी के विशेष अंक में प्रकाशित किए जाएंगे। इस पर टिप्पणी करते हुए, जर्नल की संपादक डॉ. सुज़ाना हरकुलानो-हॉज़ल ने इसे मानव मस्तिष्क विज्ञान में एक बड़ी छलांग करार दिया। 500 से अधिक मस्तिष्क क्षेत्रों का अध्ययन
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने 500 से अधिक मस्तिष्क क्षेत्रों को चिन्हित और वर्गीकृत किया है। यह वैश्विक न्यूरोसाइंस शोधकर्ताओं के लिए दशकों तक एक अमूल्य संसाधन रहेगा।
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने 500 से अधिक मस्तिष्क क्षेत्रों को चिन्हित और वर्गीकृत किया है। यह वैश्विक न्यूरोसाइंस शोधकर्ताओं के लिए दशकों तक एक अमूल्य संसाधन रहेगा।
एक नई शोध क्रांति का सूत्रपात
सुधा गोपालकृष्णन ब्रेन सेंटर की भूमिका
2022 में स्थापित यह केंद्र मस्तिष्क विज्ञान और न्यूरोटेक्नोलॉजी में भारत को अग्रणी बनाने के लिए कार्यरत है। दो वर्षों में इसने 200 से अधिक मानव मस्तिष्क के नमूनों को उच्च-रिज़ॉल्यूशन डिजिटल स्वरूप में परिवर्तित किया है। शोध का वैश्विक प्रभाव आईआईटी मद्रास के प्रो. मोहनशंकर शिवप्रकाशम के नेतृत्व में यह परियोजना भारत को मानव मस्तिष्क (Brain) विज्ञान के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करती है। उन्होंने कहा, “यह अध्ययन नई वैज्ञानिक खोजों का मार्ग प्रशस्त करेगा और मानव विकास संबंधी विकारों की गहराई से जांच में सहायक होगा।”
सार्वजनिक-निजी-परोपकारी सहयोग का उदाहरण इस ऐतिहासिक परियोजना को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, क्रिस गोपालकृष्णन (सह-संस्थापक, इंफोसिस), प्रेमजी इन्वेस्ट, फोर्टिस हेल्थकेयर, और NVIDIA जैसी संस्थाओं का समर्थन मिला। भारत का गर्व
प्रो. अजय कुमार सूद, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा, “भारत पहली बार मानव भ्रूण मस्तिष्क (Human fetal brain) के डिजिटल मानचित्रण में अग्रणी बनकर उभरा है। यह उपलब्धि विश्व स्तरीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमता को प्रमाणित करती है।”
भारत से विश्व को नई दिशा आईआईटी मद्रास की यह पहल न केवल विज्ञान और चिकित्सा में नई संभावनाओं को जन्म देगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की अनुसंधान और विकास (R&D) क्षमताओं को स्थापित करने में भी सहायक होगी।