Human Body Temperature : 618,000 से अधिक मापों का विश्लेषण
इस अध्ययन के लिए 2008 से 2017 तक स्टैनफोर्ड हेल्थ केयर के आउटपेशेंट्स से लिए गए 618,306 मौखिक तापमान मापों का विश्लेषण किया गया। इसके अलावा, हर माप के समय, रोगी की उम्र, लिंग, वजन, ऊंचाई, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), दवाओं और स्वास्थ्य स्थितियों को भी नोट किया गया।तापमान में गिरावट के कारण
शोधकर्ताओं का मानना है कि शरीर के औसत तापमान (Human Body Temperature) में कमी का मुख्य कारण मेटाबॉलिक रेट (चयापचय दर) में बदलाव है। पिछले 200 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं, बेहतर स्वच्छता, खाद्य उपलब्धता और जीवन स्तर में सुधार के कारण सूजन (inflammation) में कमी आई है, जिससे तापमान कम हुआ है। यह भी पढ़ें : New Year fitness resolutions : 2025 में कैसे रहें फिट, इन 10 आसान तरीकों से पाएं दमदार शरीर
“सूजन प्रोटीन और साइटोकिन्स का उत्पादन करती है, जो आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करती है और शरीर का तापमान बढ़ाती है,” डॉ. पार्सननेट ने बताया।
“सूजन प्रोटीन और साइटोकिन्स का उत्पादन करती है, जो आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करती है और शरीर का तापमान बढ़ाती है,” डॉ. पार्सननेट ने बताया।
Human Body Temperature : हम पहले जैसे नहीं रहे हैं
डॉ. पार्सननेट ने इस बदलाव को एक व्यापक संदर्भ में समझाया। उनका कहना है कि हमारे रहने के तरीके और वातावरण में बदलाव ने हमारे शरीर को भी बदल दिया है। घरों का तापमान नियंत्रित होना। सूक्ष्मजीवों के संपर्क में कमी। बेहतर और पोषक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता। “हम यह सोचते हैं कि इंसान हमेशा से एक जैसे रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हम शारीरिक रूप से बदल रहे हैं,” उन्होंने कहा।
डॉक्टरों और आम लोगों की गलत धारणा
डॉ. पार्सननेट के अनुसार, आज भी अधिकांश लोग, यहां तक कि डॉक्टर भी, 36.6°C (98.6°F) को सामान्य तापमान मानते हैं। लेकिन यह सही नहीं है। हर व्यक्ति का सामान्य तापमान (Human Body Temperature) अलग होता है और यह उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
यह भी पढ़ें : ब्राउन शुगर या शहद : वजन घटाने के लिए क्या है बेहतर?
स्वास्थ्य में सुधार के साथ बदलाव
इस शोध से यह भी समझा जा सकता है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और जीवनशैली में सुधार ने मानव शरीर को शारीरिक रूप से बदल दिया है। यह अध्ययन JAMA Internal Medicine में प्रकाशित हुआ है और इसने तापमान के बारे में हमारी पुरानी धारणाओं को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्टैनफोर्ड का यह अध्ययन न केवल हमारे शरीर को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है बल्कि यह भी बताता है कि इंसान समय के साथ कैसे बदल रहे हैं। यह बदलाव हमारे जीवन स्तर और स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार का सकारात्मक संकेत है।