HMPV Enter in india : एचएमपीवी के लक्षण: कोविड जैसे प्रभाव
कोरोना महामारी के जख्म अभी भूले नहीं हैं कि चीन में रहस्यमय बीमारी ‘ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV)’ के मामले सामने आ गए हैं। हमें चौकन्ना रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि कोविड-19 की शुरुआत में दुनियाभर के किसी भी विशेषज्ञ को इसका आभास तक नहीं हुआ था कि यह बीमारी इतनी विकराल रूप ले लेगी और लाखों लोगों की मृत्यु हो जाएगी। अभी जो जानकारी चीन से आ रही है, उसके अनुसार, HMPV के संक्रमण के लक्षण 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में ही दिख रहे हैं। इसके मामले गुआंगदोंग समेत उत्तरी चीन के हिस्से में अधिक देखने को मिल रहे हैं।HMPV Enter in india : चीन में तेजी से फैल रहा है एचएमपीवी
संक्रमण के ऐसे मामले वहां इस मौसम में आम हैं, लेकिन यह बीमारी पिछले सालों की तुलना में काफी तेजी से फैल रही है और मृत्युदर भी अधिक है। ऐसा ही पैटर्न हमें कोरोना में देखने को मिला था। 2019 की सर्दियों में कोरोना के मामले रिपोर्ट होने लगे थे और 2020 शुरू होते ही अन्य देशों में फैलने लगे थे।HMPV Enter in india : भारत के लिए खतरा नहीं, लेकिन सतर्क रहना जरूरी
भारत, चीन का पड़ोसी देश है। ऐसे में भारत को चौकन्ना रहने की जरूरत है। लेकिन अभी भारत के लिए डर जैसी कोई बात नहीं है, क्योंकि इसके मामले दूसरे देशों में नहीं देखे जा रहे हैं। पूरे चीन में भी यह व्यापक रूप से रिपोर्ट नहीं किए जा रहे हैं। इस वायरस के कारण सर्दी-जुकाम और कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमण खांसी, बुखार, नाक बंद होने और सांस लेने में परेशानी का कारण बन सकता है।
यह भी पढ़ें : भारत में HMPV का पहला मामला: 8 महीने के शिशु को बेंगलुरु में हुआ संक्रमण, सरकार ने जारी की एडवायजरी गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। हालांकि, कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की स्वास्थ्य एजेंसियां इस स्थिति पर नजर रखने के लिए पायलट सर्विलांस सिस्टम लागू कर रही हैं। चीन के नेशनल डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के हेड ली जेंगलॉन्ग ने कहा है कि यह सर्विलांस सिस्टम विशेष रूप से अज्ञात कारणों से होने वाले निमोनिया और सांस की बीमारियों की निगरानी करेगा। इसमें संक्रमण के स्रोतों का पता लगाना, रोग के प्रसार की निगरानी और संक्रमण के प्रकार का विश्लेषण करना भी शामिल है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि वायरस का कौन सा प्रकार (स्ट्रेन) अधिक खतरनाक है।
हमें चीन को लेकर इसलिए भी अधिक चौकन्ना रहना पड़ेगा क्योंकि चीन की विश्वसनीयता पूरे विश्व में सवालों के घेरे में है। अभी तक कोरोना से जुड़े डेटा को ही चीन ने सार्वजनिक नहीं किया है। हाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दोबारा चीन से कोविड-19 के फैलने से जुड़े डेटा मांगे हैं, लेकिन चीन ने चालाकी से लगभग इनकार कर दिया है। ऐसे में एचएमपीवी को लेकर चीन सही जानकारी विश्व मंच को दे रहा है या नहीं, इस बात को लेकर संदेह होना स्वाभाविक है।
HMPV Enter in india : एचएमपीवी से बचाव: क्या करें?
एचएमपीवी से चौकन्ना रहने की बात इसलिए भी है कि अब तक इसका कोई टीका या एंटीवायरल दवा विकसित नहीं हुई है। संक्रमित व्यक्ति को आराम और सामान्य बुखार की दवाओं से ठीक किया जा रहा है। हालांकि, जिन लोगों को पहले से सांस संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। यही बात कोरोना में भी सामने आई थी। जब पूरा विश्व इसकी चपेट में आ गया, तब सबने इससे बचाव के लिए दवा और वैक्सीन पर ध्यान दिया। यह भी पढ़ें : HMPV Outbreak : बच्चों और बड़ों में दिखने वाले सामान्य लक्षण HMPV को लेकर आम आदमी को सचेत रहने की जरूरत है। बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं या फिर वे रोगी जिनकी इम्युनिटी कमजोर या पहले से ही फेफड़े, दिल, गुर्दा, लिवर, कैंसर आदि गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें बचने की सलाह दी जाती रही है। लेकिन अब विशेष सावधानी रखनी चाहिए। जो लोग चीन की यात्रा के बाद वापस आते हैं, उनके लिए कम से कम एक सप्ताह तक क्वारंटाइन की व्यवस्था हो। उन्हें अन्य लोगों से दूर रखा जाए।
सरकारी संस्थाओं, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और मेडिकल एजुकेशन से जुड़े विशेषज्ञों को इस मामले पर गंभीरता से नजर बनाए रखने की जरूरत है तथा वे इससे जुड़े शोधों का विश्लेषण भी करें। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अच्छी पहल शुरू कर दी है। इसके लिए भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अभी चिंता की बात नहीं है। फिर भी हमारे अस्पताल आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। यानी भारत सरकार ने इसकी मॉनिटरिंग शुरू कर दी है, जोकि कोरोना के मामले में थोड़ी लचर थी।
नागरिकों की जिम्मेदारी: सावधानी बरतें
सरकारी संस्थाओं और उनके पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तो बनती ही है, लेकिन इस तरह के मामलों में नागरिकों की जिम्मेदारी अधिक गंभीर हो जाती है। सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही अपुष्ट सूचनाओं से दूर रहें। जो डॉक्टर नहीं हैं, लेकिन डॉक्टर जैसी बातें बता रहे हैं, ऐसे लोगों को अनफॉलो करें। ऐसे लोगों का कंटेंट न तो देखें और न ही शेयर करें क्योंकि आपके शेयर मात्र से दूसरों को नुकसान हो सकता है।अगर आपको कोई समस्या है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। सरकारी हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें। अपनी समस्या बताएं और जानकारी लें। सबसे अंत में, कोई भी संक्रामक बीमारी मरीजों से फैलती है। खांसते और छींकते वक्त मुंह पर रुमाल रखें, मास्क पहनें, भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें, हाथों को बार-बार साबुन से धोएं, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रहें, लोगों से मिलें तो हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करें। मात्र इतना करने से ही बचने की संभावना 80% तक बढ़ जाती है।