इस तरह के रोग विभिन्न प्रकार के एंटरोवायरस के कारण होते है, जिसमें सबसे आम तौर पर कॉक्ससैकीवायरस A16 और एंटरोवायरस 71 जैसे वायरस होते है।
विशेषज्ञों की राय
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डायरेक्टर और एचओडी, पीडियाट्रिक्स डॉ. कृष्ण चुघ ने बताया, “हम रोजाना इसके 4 से 5 मामले देख रहे हैं, जो हमारे द्वारा देखे जाने वाले औसत मामलों से बहुत अधिक है।” उन्होंने कहा, “यह मामले खासतौर पर 1-7 वर्ष तक की आयु के बच्चों में देखने को मिल रहे है।”
संक्रमण और फैलाव
ज्यादातर संक्रामक बीमारियां आमतौर पर बुखार से शुरू होती है, जिसके साथ अक्सर गले में खराश और अस्वस्थता जैसा महसूस होता है। इसके बाद मुंह, हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर दर्दनाक घाव या छाले दिखाई देते हैं। ये घाव बच्चों को काफी परेशान कर सकते है, जिससे बाद बच्चों के लिए खाना-पीना मुश्किल हो जाता है। हाथों और पैरों पर दाने, छोटे लाल धब्बे या छाले के रूप में दिखाई दे सकते हैं। कुछ मामलों में, विशेष रूप से एंटरोवायरस 71 के साथ, यह बीमारी वायरल मैनिंजाइटिस या एन्सेफलाइटिस जैसी अधिक गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकती है।
वायरस नजदीकी संपर्क, श्वसन बूंदों (खांसने, छींकने) और दूषित सतहों या मल के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रामकता का उच्च स्तर वहां पाया जाता है जहां छोटे बच्चे इकट्ठा होते हैं, इसमें डेकेयर और स्कूल भी शामिल हैै।
रोकथाम और उपचार
सर गंगा राम अस्पताल में संक्रामक रोगों के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख डॉ अतुल गोगिया ने बताया, “यह कुछ दिनों में खुद ही खत्म हो जाता है और दो सप्ताह या उससे भी कम समय में बच्चा ठीक हो जाता है। इससे बचाव के लिए बच्चों को अन्यों के संपर्क में आने से बचाना है।’
मौसम और वायरस का संबंध
उन्होंने कहा, ”गर्म और आर्द्र मौसम वायरस के पनपने के लिए आदर्श वातावरण बनाता है, जिससे यह वृद्धि होती है। यह बरसात के मौसम में चरम पर होता है।”
टोमैटो फ्लू: एक गलतफहमी
दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में नियोनेटोलॉजी एवं बाल रोग निदेशक डॉ. पूनम सिदाना ने कहा, ”पिछले कुछ दिनों से केरल में टोमैटो फ्लू नामक महामारी फैलने की खबरें आ रही हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि यह एक भ्रामक शब्द है और असल में यह हाथ, पैर और मुंह की बीमारी है। डॉ. चुघ ने पेरेंट्स और देखभाल करने वालों से सतर्क रहने अपील करते हुए कहा, ” बुखार, मुंह में छाले ,हाथों और पैरों पर दाने जैसे लक्षणों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है। हम पेरेंट्स से आग्रह करते हैं कि अगर उन्हें संदेह है कि उनके बच्चे को एचएफएमडी है तो वे तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।”
–आईएएनएस