Covid-19 heart attack risk: अध्ययन की प्रमुख बातें
यह अध्ययन अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थित था, जिसमें कोविड-19 संक्रमण (Covid-19) से जुड़े दिल और रक्तवाहिकाओं की समस्याओं के बढ़े जोखिम की पुष्टि हुई। यह पहला अध्ययन है जिसने यह बताया कि ये जोखिम तीन साल तक बने रह सकते हैं, खासकर उन लोगों में जो महामारी की पहली लहर में संक्रमित हुए थे।अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को शुरुआती दौर में कोविड-19 (Covid-19) हुआ था, उनमें दिल के दौरे और स्ट्रोक का जोखिम उन लोगों की तुलना में दोगुना था जिन्होंने कभी वायरस का सामना नहीं किया। गंभीर कोविड-19 मामलों में यह जोखिम चार गुना बढ़ा पाया गया।
NIH द्वारा समर्थित अध्ययन
यह शोध अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) के वित्तीय समर्थन से किया गया था, और यह 10,000 प्रतिभागियों के आंकड़ों पर आधारित था। इसमें यूके बायोबैंक के डेटा का उपयोग किया गया, जिसमें फरवरी से दिसंबर 2020 के बीच संक्रमित हुए यूरोपीय मरीजों को शामिल किया गया था।रक्त समूह और कोविड-19 के बीच संबंध
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन लोगों का रक्त समूह A, B, या AB था, उनमें कोविड-19 के बाद दिल के दौरे या स्ट्रोक का जोखिम दोगुना था। वहीं, O समूह के लोगों में यह जोखिम कम पाया गया।शोधकर्ताओं ने यह देखा कि कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण के तीन साल बाद तक भी दिल के दौरे या स्ट्रोक का जोखिम बना रहता है, खासकर उन लोगों में जिन्होंने गंभीर रूप से वायरस का सामना किया था।
अध्ययन के सीमाएं और आवश्यक भविष्य के शोध
हालांकि, शोधकर्ताओं ने अध्ययन की कुछ सीमाओं को स्वीकार किया। यह अध्ययन मुख्य रूप से सफेद ब्रिटिश आबादी पर आधारित था, इसलिए यह देखना बाकी है कि ये परिणाम अन्य विविध आबादी में भी सही हैं या नहीं। इसके अलावा, अध्ययन के प्रतिभागी बिना टीकाकरण वाले थे, इसलिए भविष्य में यह अध्ययन किया जाना आवश्यक होगा कि टीकाकरण का इस जोखिम पर क्या प्रभाव पड़ता है।अध्ययन ने रक्त समूह और कोविड-19 (Covid-19) के बीच के संबंध को भी उजागर किया, लेकिन इसके पीछे का सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। भविष्य में इस पर और गहन शोध की आवश्यकता होगी।