बादाम का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। इस बात की पुष्टि एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में प्रकाशित एक शोध में भी होती है। दरअसल, बादाम का सेवन करने से लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल-सी) को कम किया जा सकता है। यह शरीर को नुकसान पहुंचाने वाला कोलेस्ट्रॉल है, जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है।
अगर आप भी वजन कम करने के उपाय ढूंढ रहे हैं तो बादाम का को अपनी डेली डाइट में शामिल करें। एनसीबीआई में पब्लिश एक वैज्ञानिक रिसर्च में बताया गया है कि बादाम को कम कैलोरी डाइट के साथ शामिल करके वजन कम किया जा सकता है। बादाम की तकरीबन 84 ग्राम मात्रा का रोजाना सेवन करने से चयापचय सिंड्रोम संबंधी असामान्यताएं दूर हो सकती हैं, जिसमें मोटापा भी शामिल है। रिसर्च में आगे बताया गया है कि बादाम का सेवन करने वालों में 24 हफ्ते बाद वजन में कमी पाई गई।
बादाम के फायदे में कैंसर से बचाव को भी शामिल किया जा सकता है। बादाम में एंटीकैंसर प्रभाव होता है, जो कैंसर सेल लाइन को बढ़ने से रोक सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि खासकर कड़वे बादाम में मौजूद एमिग्डालिन में संभावित कैंसर का उपचार करना का प्रभाव हो सकता है।
मधुमेह से बचाव के उपाय में बादाम के गुण लाभकारी साबित हो सकते हैं। बादाम में फाइबर, अनसैचुरेटेड फैट और लो कार्बोहाइड्रेट होता है। साथ ही यह लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स की श्रेणी यानी कम ग्लूकोज वाला खाद्य पदार्थ है। ऐसे में माना जाता है कि बादाम का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज (मधुमेह) के जोखिम से बचा जा सकता है
बादाम के गुण की वजह से लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो सकता है। साथ ही इसे ट्राइग्लिसराइड्स (एक प्रकार का वसा) के लेवल को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इतना ही नहीं, यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभा सकता है। इसी वजह से छिलके रहित और छिलके सहित बादाम खाने के फायदे में कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रण को भी शामिल किया जाता है।
बढ़ती उम्र के साथ-साथ आंखें भी कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में आंखों की कमजोरी दूर करने के उपाय में बादाम के फायदे हो सकते हैं। दरअसल, बादाम में विटामिन ई और जिंक की भरपूर मात्रा पाई जाती है। ये पोषक तत्व आंखों से जुड़ी बीमारी एज रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेरेशन को दूर रखने का काम कर सकते हैं। साथ ही बादाम में जिंक होता है, जो रेटिना को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी माना जाता है। इसी वजह से कहा जा सकता है कि बादाम के फायदे आंखों के लिए हो सकते हैं।
बादाम का सेवन करने से पाचन को बेहतर किया जा सकता है। एक रिसर्च पेपर के अनुसार, बादाम और बादाम की स्किन में फाइबर और प्रीबायोटिक्स होते हैं। यह आंत में माइक्रोबायोटा प्रोफाइल और आंतों के बैक्टीरिया की गतिविधियों में सुधार कर सकता है। इससे स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है और हानिकारक चीजों से बचाव हो सकता है ।
हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी बादाम का सेवन किया जा सकता है।हड्डियों के लिए कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व जरूरी होते हैं। ये दोनों न्यूट्रिएंट्स बादाम में पाए जाते हैं। मैग्नीशियम को बोन मिनरल डेंसिटी को बेहतर करने के लिए जाना जाता है। इन दोनों पोषक तत्वों और बोन मिनरल डेंसिटी को बेहतर करने वाले प्रभाव की मदद से ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डी रोग और फ्रेक्चर के जोखिम को कुछ कम किया जा सकता है। इसी वजह से बादाम के फायदे में हड्डी स्वास्थ्य को भी गिना जाता है।
बादाम खाने का तरीका – How to Eat Almond in Hindi – बादाम को ऐसे ही साबूत खाया जा सकता है।
– बादाम को रातभर पानी में भिगोकर अगली सुबह इसे छिलके उतारकर खाया जा सकता है।
– बनाना या मैंगो शेक में भी बादाम का इस्तेमाल किया जा सकता है।
– आलमंड से बना बादाम मिल्क भी आप पी सकते हैं।
– केक में बादाम का उपयोग करके खाया जा सकता है।
– कई मिठाइयों में भी बादाम का इस्तेमाल किया जा सकता है।
– चिवड़ा में मिलाकर बादाम को खा सकते हैं।
– इसे चॉकलेट में भी उपयोग किया जा सकता है।
– बादाम का हलवा बनाकर खा सकते हैं।
– बादाम पाउडर को सादा या दूध में मिलाकर भी बादाम का सेवन किया जा सकता है।
– कॉर्नफ्लेक्स या फ्रूट सलाद में बादाम के टुकड़े को डालकर खा सकते हैं।
– बादाम का सेवन मिल्क शेक में मिक्स करके किया जा सकता है।
सुबह या शाम को व्यायाम के बाद भीगे हुए बादाम खाए जा सकते हैं।
इससे बने चॉकलेट या केक को दिन में किसी भी समय खाया जा सकता है।
शाम को बादाम मिल्क शेक पी सकते हैं।
प्रतिदिन 56 ग्राम (1 मुट्ठी) तक बादाम खाने की मात्रा को सुरक्षित माना जाता है (20)। वैसे हर किसी की आहार क्षमता एक जैसा नहीं होती है, इसलिए एक बार आहार विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।