बरगद के दूध में छिपे हैं बड़े गुण, चुटकियों में मिल जाएगा इन बीमारियों का उपाय
वट वृक्ष (बरगद) की तासीर ठंडी होती है जो कफ, पित्त की समस्या को
दूर कर रोगों का नाश करती है। बुखार, स्त्री रोग संबंधी समस्याएं, उल्टी व
त्वचा के रोगों में वट वृक्ष के पत्तों, जड़ों और दूध का प्रयोग फायदेमंद
होता है।
वट वृक्ष (बरगद) की तासीर ठंडी होती है जो कफ, पित्त की समस्या को दूर कर रोगों का नाश करती है। बुखार, स्त्री रोग संबंधी समस्याएं, उल्टी व त्वचा के रोगों में वट वृक्ष के पत्तों, जड़ों और दूध का प्रयोग फायदेमंद होता है।
पत्ते हैं उपयोगी
वट की कोपलें चेहरे की कांति बढ़ाने का काम करती हैं। बरगद की जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसकी ताजी जड़ों को कुचल कर चेहरे पर लगाएं। झुर्रियां कम हो जाएंगी। इसके पत्तों को तवे पर सेककर सहने योग्य स्थिति में फोड़ों के ऊपर बांधने से लाभ मिलता है। इसके पत्तों की लुग्दी बनाकर शहद और शक्कर के साथ लेने से नकसीर की समस्या में आराम मिलता है। वट के बीजों को पीसकर पीने से उल्टी आने की समस्या दूर होती है।
दूध भी गुणकारी
जिस दांत में कीड़ा लग गया हो वहां इसके दूध में भीगा फोहा रखने से लाभ होता है। लगभग 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च बारीक पीसकर पाउडर बना लें। यह मंजन करने पर दांतों का हिलना, सडऩ, बदबू दूर हो जाती है। वट का दूध, शक्कर के साथ लेने से बवासीर में लाभ होता है। वट का दूध लगाने से सूजन कम हो जाती है।
वट के दूध का लेप कमर पर करने से दर्द में लाभ होता है। फटी पड़ी एडिय़ों पर बरगद का दूध लगाया जाए, तो काफी राहत मिलती है। बरगद की ताजा कोमल पत्तियों का पाउडर बनाकर खाने से मेमोरी अच्छी होती है। इसके पत्तों की राख को अलसी के तेल में मिला कर लगाने से सिर के बाल उग आते हैं। इसके कोमल पत्तों को तेल में पकाकर लगाने से सभी केश के विकार दूर होते हैं। जले हुए स्थान पर इसके कोमल पत्तों को पीसकर दही में मिलाकर लगाने से शान्ति प्राप्त होती है।
– प्रो. अनूप कुमार गक्खड़
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