– कोटा संभाग में कुल 1543 हिस्ट्रीशीटर हैं। इसमें आने वाले कोटा शहर में 417, झालावाड़ में 336, बूंदी 295, बारां 290, कोटा ग्रामीण 205 हैं। – उदयपुर संभाग में कुल 1442 हिस्ट्रीशीटर हैं। इसमें चित्तौडग़ढ़ 448, उदयपुर में 365, प्रतापगढ़ 176, राजसमन्द 170 बांसवाड़ा 161, डूंगरपुर 122 हैं।
– जयपुर संभाग में कुल 1067 हिस्ट्रीशीटर हैं। इसमें सीकर 331 अलवर में 325, दौसा 118, जयपुर ग्रामीण और 122, झुंझुनूं में 173 हिस्ट्रीशीटर हैं।
– बीकानेर संभाग में कुल 992 हिस्ट्रीशीटर है। बीकानेर में 374, चूरू में 153, हनुमानगढ़ 129, श्री गंगानगर में 336 है।
– अजमेर संभाग में सर्वाधिक अजमेर 507 भीलवाड़ा 289 नागौर 391 व टोंक 192 हिस्ट्रीशीटर हैं।
यदि किसी हिस्ट्रीशीटर का लम्बे समय तक चाल चलन अच्छा होता है, अर्से से किसी भी अपराध में उसका कोई नाम नहीं आता। साथ ही वर्तमान में उसका व्यवहार समाज के अनुरूप है, तो संबंधित थाना पुलिस उसकी पूरी जानकारी जुटाते हुए हिस्ट्रीशीट बंद कर सकती है।
जैसे ही कोई अपराध होता है और उसमें कोई आदतन अपराधी सामने आता है, तो उसका नाम दर्ज हो जाता है। उससे जुडे़ अपराध उसमें जोड़े जाते हैं। पुलिस एेसे अपराधियों पर नजर रखने के लिए किसी की हिस्ट्रीशीट खोलती है। अपराधों के लिहाज से नजर रखना भी जरूरी है।