क्या है सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का मतलब? Calcium and Iron Deficiency
Calcium and Iron Deficiency : सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, जो अक्सर “माइक्रोन्यूट्रिएंट डिफिशिएंसी” के रूप में जानी जाती है, कुपोषण का सबसे आम प्रकार है। इसका सीधा असर मानव शरीर पर पड़ता है, जिसके कारण दृष्टिहीनता, गर्भावस्था में जटिलताएं, और संक्रामक रोगों की संवेदनशीलता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन कमियों के कारण न केवल शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग असर
Calcium and Iron Deficiency : अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में आयोडीन, विटामिन बी12, आयरन, और सेलेनियम की कमी प्रमुख रूप से पाई गई है। इसके विपरीत, पुरुषों में कैल्शियम, नियासिन, थायमिन, जिंक, मैग्नीशियम, और विटामिन ए, सी, और बी6 की कमी पाई गई है। इस अध्ययन ने यह भी उजागर किया है कि इन पोषक तत्वों की कमी का असर उम्र और लिंग के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।क्या है इसके पीछे का कारण?
Calcium and Iron Deficiency : पोषक तत्वों की इस कमी का प्रमुख कारण आहार की गुणवत्ता में कमी और आवश्यक पोषक तत्वों की जागरूकता की कमी है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-सांता बारबरा के शोध प्रोफेसर क्रिस फ्री ने बताया कि लगभग हर देश में अलग-अलग आयु और लिंग श्रेणियों में सूक्ष्म पोषक तत्वों के अपर्याप्त सेवन का यह पहला विस्तृत अनुमान है।कैसे हो सकता है इस समस्या का समाधान?
हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टोफर गोल्डन का कहना है कि इस वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या का समाधान चिकित्सकों और नीति निर्माताओं द्वारा सबसे प्रभावी आहार को पहचान कर और उन आहारों को सबसे कमजोर आबादी की ओर निर्देशित करके किया जा सकता है।आगे का रास्ता: पोषण में सुधार की दिशा में कदम
वैश्विक स्तर पर पोषण में सुधार के लिए, फोर्टिफिकेशन (खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की वृद्धि) के प्रयासों को बढ़ावा देना आवश्यक है। हालांकि, इस अध्ययन में फोर्टिफिकेशन को छोड़कर लगभग सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों में कमी पाई गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि केवल फोर्टिफिकेशन ही इस समस्या का समाधान नहीं है। आवश्यक है कि हम अपने आहार में बदलाव लाएं और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आहार की गुणवत्ता को सुधारें। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर कुपोषण की समस्या को भी कम कर सकता है।