क्या है डायबिटीज होने का कारण : what is the cause of diabetes
डायबिटीज की बीमारी तब होती है, जब पैंक्रिपैंयाज इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है। जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। डायबिटीज मेटाबॉलिक डिजीज (Metabolic Disease) है जो व्यक्ति के शरीर को धीरे-धीरे सुखा देती है।ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाले ग्रीन जूस : Green Juice for Diabetes
सहजन का जूस सहजन (Green Juice for Diabetes) को डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण माना जाता है। सहजन में एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो पाचन समस्याएं जैसे कब्ज, गैस्ट्रिटिस और अल्सरेटिव कोलाइटिस को दूर करने में मदद करता है। डायबिटीज मरीजों को इसका नियमित रूप से सेवन करते रहना चहिए। आंवला जूस आंवले में क्रोमियम नामक खनिज पदार्थ होता है जो कि कार्बोहाइड्रेट के पाचन में मदद करता है। आंवले के सेवन से बढ़ते हुए ब्लड ग्लूूकोज लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। आंवले के जूस के सेवन से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त मात्रा में बनाता है। आंवले में कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कि खून में फ्री रेडिकल्स को खत्म करने मे हमारे शरीर के लिए अत्यधिक आवश्यक होते हैं।
पालक जूस यदि आप पालक के जूस का सेवन करते हैं तो यह आपके ब्लड शुगर लेवल को तो कंट्रोल करता ही साथ ही यह थकान और कमजोरी की समस्या भी खत्म करता है। पालक कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है जिससे आपके शरीर को कई फायदे मिलते हैं।
एलोवेरा जूस एलोवेरा जूस में विटामिन C और E की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए इसका सेवन आपकी कई बीमारियों में फायदेमंद हो सकता है। यदि आप इसका सेवन करते हैं तो इससे आपका डाइजेस्टिव सिस्टम तो अच्छा रहता है साथ ही ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है।
लौकी जूस लौकी का जूस ब्लड शुगर कंट्रोल में मददगार साबित होता है इसका सबसे बड़ा कानण है इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स का कम होना। यदि आप इसके जूस का सेवन करते हैं तो इससे आपको दिल को भी फायदा मिलेगा। इस जूस का सेवन शरीर में जमे बैड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।