लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल और हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। बैड कोलेस्ट्रॉल से ब्लड वेसेल्स में प्लेक जमा होने लगता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। तो चलिए जानें की कोलेस्ट्रॉल जब बढ़ता है तो शरीर में कैसे बदलाव नजर आते हैं।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के पीछे एक नहीं कई कारण जिम्मेदार होते हैं। मोटापा, स्मोकिंग और कुछ दवाइयों और खानपान के साथ बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे
कोलेस्ट्रॉल अगर कंट्रोल न हो तो इससे हाई बीपी के साथ कोरोनरी आर्टरी डिजीज और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा हाई बीपी से स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ाता है। वहीं, समय पर ध्यान नहीं देने से शुगर लेवल भी हाई हो सकता है।
आंखों के पास वसा के दाने- आंखों या पलको के आसपास वसा के दाने बनने लगते हैं। दर्द रहित ये दानें कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का संकेत होता है। वहीं, कई बार हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को आंखों की कॉर्निया के बाहरी हिस्से में ऊपर या नीचे नीले या सफेद रंग की गुंबद जैसा कुछ दिखाई देता है, जो हाई कोलेस्ट्रॉल का ही लक्षण होता है। इसे Arcus Senilis कहा जाता है।
हाथ में दर्द –कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कई बार हाथ में दर्द होता है। बराबर बने रहने वाला ये दर्द इस बात का संकेत होता है कि धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण ब्लड सर्कुलेशन बाधित होता है, इससे हाथों में दर्द होने लगता है।
सांस फूलना- अगर आप थोड़ा सा भी चलने पर थका महसूस करें और आपकी सांस चढ़ने लगे तो ये कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का लक्षण होता है।