गौमूत्र में पाए जाने वाले गुण – नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड, क्लोराइड और सोडियम पाया जाता है। – गौमूत्र दर्द निवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।
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नेचुरल उपायों से कैसे ठीक करें बीमारियां गौमूत्र में मौजूद पोषक तत्वगौमूत्र एक संजीवनी है, गौमूत्र एक अमृत के समान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को दूर रखता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की मांसपेशियों को मज़बूत करता है। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर में तीनों दोषों का संतुलन भी बनाता है और कीटनाशक की तरह भी काम करता है। यह एक जैविक टॉनिक के समान है। यह शरीर-प्रणाली में औषधि के समान काम करता है। यह अन्य औषधियों के साथ, उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी ग्रहण किया जा सकता है।
गौमूत्र कैंसर (Cancer Cure) के इलाज में बहुत उपयोगी है। यह शरीर में ‘सेल डिवीज़न इन्हिबिटरी एक्टिविटी’ को बढ़ाता है और कैंसर के मरीज़ों के लिए बहुत लाभदायक है। आयुर्वेद के ग्रंथों के अनुसार गौमूत्र विभिन्न जड़ी-बूटियों से भरपूर है, यह गुर्दे,श्वास और दिल की बीमारी में कारगर है, इसके रोजोना सेवन से आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी दूर होती है।
यूरिक एसिड (Uric acid): यह यूरिया जैसा ही है और इस में शक्तिशाली प्रतिजीवाणु गुण हैं। यूरिक एसिड को कम करने में सबसे ज्यादा लाभकारी है। उरोकिनेज (Urokinase): यह जमे हुए रक्त को घोल देता है, ह्रदय विकार में सहायक है और रक्त संचालन में सुधार करता है।
एपिथिल्यम विकास तत्व (Epithelium growth factor): क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतक में यह सुधार लाता है और उन्हें पुनर्जीवित करता है। गोनाडोट्रोपिन (Gonadotropins): मासिक धर्म के चक्र को सामान्य करने में बढ़ावा देत है और शुक्राणु उत्पादन में मदद करता है।
ट्रिप्सिन निरोधक (Trypsin inhibitor): मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है। आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर रोजाना इसका सेवन करें। दांत दर्द एवं पायरिया वाले गोमूत्र से कुल्ला कर सकते हैं। इसके अलावा पुराना जुकाम, नजला, श्वास से पीडित लोग एक चौथाई गौमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर इसका सेवन करें।