बागवानी: एक नई चिकित्सा विधि Gardening: A New Therapy Method
सेमलवाइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस नए अध्ययन में यह पाया कि बागवानी वृद्धों में संतुलन और चलने की गति में सुधार कर सकती है, विशेषकर उन बुजुर्गों में जिन्हें
डिमेंशिया (Dementia) है। यह अध्ययन 12 सप्ताह तक चला, जिसमें प्रतिभागियों ने सप्ताह में दो बार एक घंटे की बागवानी (Gardening) सत्रों में भाग लिया। इन सत्रों में बिस्तर तैयार करना, घास की सफाई करना, काटना और फसल बटोरने जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं।
Gardening for dementia : अध्ययन की पद्धति और परिणाम
इस अध्ययन में दो समूहों को शामिल किया गया था: एक समूह जो बागवानी (Gardening) सत्रों में भाग ले रहा था और दूसरा नियंत्रण समूह जो केवल सामाजिक गतिविधियों में शामिल था। परिणामों के अनुसार, बागवानी करने वाले समूह में गतिशील संतुलन में कोई खास बदलाव नहीं हुआ, लेकिन स्थिर संतुलन में सुधार देखने को मिला। वहीं, नियंत्रण समूह में संतुलन में गिरावट आई। इसके अलावा, बागवानी (Gardening) करने वाले समूह में चलने की गति में सुधार हुआ, जो कि डिमेंशिया (Dementia) के लक्षणों में गिरावट के संकेत हो सकते हैं। यह भी पढ़ें-
Dementia Risk : एलईडी बल्ब, मोबाइल और टीवी बढ़ा रहे भूलने की बीमारी, हर साल बढ़ रहे डिमेंशिया के रोगी बागवानी और मानसिक स्वास्थ्य Gardening and Mental Health
इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि बागवानी (Gardening) से मानसिक स्थिति पर भी सकारात्मक असर पड़ा। बागवानी के दौरान प्रतिभागियों ने एक-दूसरे से अधिक बातचीत की और सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। साथ ही, देखभाल करने वालों ने यह नोट किया कि बागवानी सत्रों के बाद प्रतिभागियों में आक्रामक व्यवहार और अनुचित भाषा में कमी आई। यह दर्शाता है कि बागवानी केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।
बागवानी और शरीर का स्वास्थ्य
बागवानी (Gardening) शारीरिक गतिविधि का एक बेहतरीन रूप है, जो शरीर को सक्रिय रखने में मदद करता है। डिमेंशिया (Dementia) के मरीजों में चलने की गति और संतुलन में गिरावट आना आम बात है, लेकिन बागवानी के माध्यम से यह समस्याएं कम हो सकती हैं। शारीरिक गतिविधियाँ जैसे बिस्तर तैयार करना और घास की सफाई करने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और संतुलन में सुधार होता है।
Gardening for dementia: बागवानी के सामाजिक लाभ
बागवानी न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करती है। वृद्धों को बागवानी में भाग लेने से एक नई सामाजिक पहचान मिलती है और वे दूसरों के साथ ज्यादा संवाद करते हैं। यह सामाजिक गतिविधियाँ उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं और उन्हें एक सकारात्मक माहौल में रहने का अवसर देती हैं।
भविष्य में बागवानी की संभावनाएँ
डिमेंशिया (Dementia) के मामलों में वृद्धि की संभावना के मद्देनजर, बागवानी जैसे वैकल्पिक उपचारों की महत्ता बढ़ जाती है। यह अध्ययन इस बात को सिद्ध करता है कि बागवानी के माध्यम से डिमेंशिया (Dementia) के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। अब आवश्यकता है कि इस तरह के उपचारों पर और शोध किया जाए ताकि भविष्य में डिमेंशिया के मरीजों के लिए प्रभावी और प्राकृतिक उपचार मिल सके। यह भी पढ़ें-
याददाश्त को बढ़ाने में वियाग्रा कारगर? भारतीय डॉक्टरों ने की नई स्टडी की तारीफ इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया है कि बागवानी वृद्धों के लिए एक लाभकारी गतिविधि हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो डिमेंशिया (Dementia) के शिकार हैं। यह न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी इसे एक सकारात्मक हस्तक्षेप माना जा सकता है। इसलिए, यदि आप या आपके परिचित किसी प्रकार की मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो बागवानी एक सरल और प्रभावी समाधान हो सकता है।