Raj Yoga राज योग : राज योग यानी राजसी योग। इसमें ध्यान महत्वपूर्ण है। इसके आठ अंग हैं। इनमें यम (शपथ), नियम (आचरण-अनुशासन), आसन (मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)।
Karma Yoga कर्म योग : हर कोई इस योग को करता है। कर्म योग ही सेवा का मार्ग है। कर्म योग का सिद्धांत है कि जो आज अनुभव करते हैं वह हमारे कार्यों से भूतकाल में बदलता जाता है। जागरूक होने से हम वर्तमान से अच्छा भविष्य बना सकते हैं। स्वार्थ और नकारात्मकता से दूर होते हैं।
Bhakti Yoga भक्ति योग : भक्ति का मार्ग से सभी की स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा होता है। इसमें भक्ति के मार्ग का वर्णन है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है।
Gyan Yoga ज्ञान योग : अगर भक्ति को मन का योग मानें तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है। यह ऋ षि या विद्वानों का रास्ता है। इसमें ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही साथ सबसे प्रत्यक्ष होता है।