ओबेसिटी के पीछे कई बार डिप्रेशन, एंग्जाइटी भी होती है, क्योंकि ये मानसिक दिक्कते हमारे पाचन तंत्र को इफेक्ट करती है। तो चलिए आज आपको बताएं कि मोटापे के अलावा तनाव के बड़े साइड इफेक्ट्स क्या हैं और तनाव से कैसे बचें।
स्ट्रेस में हमेशा रहने के साडइट इफेक्टस-side effects of always being in stress भूख को अनियंत्रित करता है- uncontrolled appetite
अगर आप हमेशा ही किसी न किसी कारण तनाव में रहते हैं तो आपका मस्तिष्क हमेशा भूखा रहेगा। तनाव से भूख अनियंत्रित होती है। इसकी वजह से व्यक्ति ज्यादा खाता है। भले ही हेल्दी खा रहा हो, लेकिन अपनी भूख से ज्यादा खाता है। ज्यादा खाने से कैलोरी शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगती है और मेटाबोलिज्म स्लो होता है। ये मोटापे का बड़ा कारण है। भूख के अनियंत्रित होने से ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हड्डियों और पेट सभी पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है।
अगर आप हमेशा ही किसी न किसी कारण तनाव में रहते हैं तो आपका मस्तिष्क हमेशा भूखा रहेगा। तनाव से भूख अनियंत्रित होती है। इसकी वजह से व्यक्ति ज्यादा खाता है। भले ही हेल्दी खा रहा हो, लेकिन अपनी भूख से ज्यादा खाता है। ज्यादा खाने से कैलोरी शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगती है और मेटाबोलिज्म स्लो होता है। ये मोटापे का बड़ा कारण है। भूख के अनियंत्रित होने से ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हड्डियों और पेट सभी पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है।
कोर्टिसोल के कारण इंसुलिन होती है प्रभावित-effect of cortisol hormone on insulin
जब भी मस्तिष्क तनाव महसूस करता है कोर्टिसोल नामक हार्मोन मस्तिष्क से निकलना शुरू हो जाता है। ये हार्मोन सीधा इंसुलिन को प्रभावित करता है। इससे न केवल ब्लड शुगर हाई होता है, बल्कि तेजी से मोटापा भी बढ़ता है। कोर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है।
जब भी मस्तिष्क तनाव महसूस करता है कोर्टिसोल नामक हार्मोन मस्तिष्क से निकलना शुरू हो जाता है। ये हार्मोन सीधा इंसुलिन को प्रभावित करता है। इससे न केवल ब्लड शुगर हाई होता है, बल्कि तेजी से मोटापा भी बढ़ता है। कोर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है।
डायजेशन में होती है दिक्कत-problems with digestion
तनाव की वजह से डायजेशन यानी पाचन तंत्र पर भी प्रभाव पड़ता है। लिवर से बाइल जूस कम निकलता है इसेस खाना सही से पचनता नहीं और मेटाबॉलिक रेट स्लो रहने से वेट का बढ़ना शुरू हो जाता। गैस और बदहजमी, एसिडिटी जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
तनाव की वजह से डायजेशन यानी पाचन तंत्र पर भी प्रभाव पड़ता है। लिवर से बाइल जूस कम निकलता है इसेस खाना सही से पचनता नहीं और मेटाबॉलिक रेट स्लो रहने से वेट का बढ़ना शुरू हो जाता। गैस और बदहजमी, एसिडिटी जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
नींद की कमी-lack of sleep
तनाव का असर नींद पर भी होता है और नींद का कनेक्शन मोटापे से भी जुड़ा हुआ है। अगर नींद न आए या बार-बार टूटती रहती है तो इससे भी मोटापा होता है।
तनाव का असर नींद पर भी होता है और नींद का कनेक्शन मोटापे से भी जुड़ा हुआ है। अगर नींद न आए या बार-बार टूटती रहती है तो इससे भी मोटापा होता है।
आंत के गुड बैक्टीरिया नष्ट होने का कारण-causes destruction of good gut bacteria
तनाव की वजह से निकलने वाला कार्टिसोल हार्मोन आंतों में रहने वाले गुड बैक्टीरिया को नष्ट करता है। इसकी वजह से व्यक्ति का मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है। साथ ही आंत में भी समस्या होने लगती है। कब्ज के कारण भी वेट बढ़ता है।
तनाव की वजह से निकलने वाला कार्टिसोल हार्मोन आंतों में रहने वाले गुड बैक्टीरिया को नष्ट करता है। इसकी वजह से व्यक्ति का मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है। साथ ही आंत में भी समस्या होने लगती है। कब्ज के कारण भी वेट बढ़ता है।
थायरॉयड हार्मोनप्रभावित होना-Thyroid being affected by hormones
तनाव का बढ़ता स्तर थायरॉयड हार्मोन थायरॉक्सिन का उत्पादन कम करने लगता है। इससे हापोथायरॉडिज्म की दिक्कत बढ़ती है। इससे भी मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और वेट बढ़ना शुरू होता है।
तनाव का बढ़ता स्तर थायरॉयड हार्मोन थायरॉक्सिन का उत्पादन कम करने लगता है। इससे हापोथायरॉडिज्म की दिक्कत बढ़ती है। इससे भी मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और वेट बढ़ना शुरू होता है।
स्ट्रेस से दूर रहने के लिए करें ये काम- ways to stay away from stress 1. स्ट्रेस न हो ये संभव नहीं, लेकिन अगर आप स्ट्रेस से लड़ना सीख लें तो इससे आपका नुकसान नहीं होगा। इसके लिए डाइट से लेकर एक्सरसाइज तक आपकी मदद कर सकते हैं। तो स्ट्रेस से बचने के लिए ये काम जरूर करें।
2. रोज कम से कम 45 मिनट की वॉक या कोई भी कार्डियो एक्सरसाइज करें। कोशिश करें कि जिम या घर में इन एक्सरसाइज को करने की जगह आप खुले में करें। योग, मेडिटेशन जैसी एंटी स्ट्रेस तकनीक को अपनाएं।
3. ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड से भरपूर चीजें और विटामिन डी खानपान में बढ़ा दें। ये स्ट्रेस फाइटर होते हैं।
स्ट्रेस दूर करने के लिए बादाम, अखरोट, मेवे के साथ अलसी के बीज, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज आदि जैसे बीज नियमित रूप से शामिल करें।
स्ट्रेस दूर करने के लिए बादाम, अखरोट, मेवे के साथ अलसी के बीज, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज आदि जैसे बीज नियमित रूप से शामिल करें।
4. डाइट में फाइबर और लिक्विड खूब लें। ओट्स, जौ,और राई खूब खाएं। फलों में विटामिन सी युक्त संतरा, मौसमी, अनार, जामुन आदि का सेवन करें। तो ये उपाय आपको केवल स्ट्रेस से नहीं, बल्कि इससे होने वाली बीमारियों से भी बचाएंगे।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।