Essential Drugs Price Hike :कंपनियों का दबाव और उत्पादन लागत में वृद्धि
फार्मास्युटिकल कंपनियों ने लंबे समय से दवाओं की कीमतों में वृद्धि की मांग की थी। कंपनियों ने कहा कि कच्चे माल की कीमतें, उत्पादन लागत और मुद्रा विनिमय दरें बढ़ने से इन दवाओं का उत्पादन और बिक्री कठिन हो गया है। इसके कारण कुछ कंपनियों ने यह भी संकेत दिया कि वे अब इन दवाओं का उत्पादन बंद करने पर विचार कर रही हैं क्योंकि यह उनके लिए लाभदायक नहीं है।
NPPA का हस्तक्षेप: DPCO 2013 का अनुच्छेद 19 लागू
NPPA ने जनहित में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए DPCO 2013 के अनुच्छेद 19 के तहत अपने असाधारण अधिकारों का उपयोग करते हुए 8 आवश्यक दवाओं की 11 अनुसूचित तैयारियों की कीमतों में संशोधन किया। यह तीसरी बार है जब NPPA ने इन अधिकारों का प्रयोग किया है। इससे पहले 2019 और 2021 में भी 21 और 9 दवाओं की कीमतों में 50% की वृद्धि की गई थी। यह भी पढ़ें : शरीर को फौलादी बना देती हैं ये छोटी-छोटी सफेद बॉल्स, फायदे हैं अनगिनत Essential Drugs Price Hike : कौन-कौन सी दवाएं होंगी प्रभावित?
इस फैसले से जिन दवाओं की कीमतों में वृद्धि होगी, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
बेंजिल पेनिसिलिन 10 लाख IU इंजेक्शन: विभिन्न बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज के लिए। एट्रोपिन इंजेक्शन 0.6mg/ml: ब्रेडीकार्डिया (धीमी हृदय गति) के इलाज के लिए। स्ट्रेप्टोमाइसिन पाउडर इंजेक्शन 750 mg और 1000 mg: तपेदिक और अन्य बैक्टीरियल संक्रमणों के लिए।
सल्बुटामोल टैबलेट 2 mg और 4 mg तथा रेस्पिरेटर सोल्यूशन 5 mg/ml: अस्थमा और श्वसन रोगों के इलाज के लिए। पिलोकार्पिन 2% ड्रॉप्स: ग्लूकोमा के इलाज के लिए। सेफाड्रॉक्सिल टैबलेट 500 mg: बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज के लिए।
डेस्फेरिओक्सामाइन 500 mg इंजेक्शन: एनीमिया और थैलेसीमिया के इलाज के लिए।
लिथियम टैबलेट 300 mg: मानसिक स्वास्थ्य विकारों के इलाज के लिए।
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जनता पर असर और सरकारी रुख
इन दवाओं की कीमतों में वृद्धि को सरकार ने “जनहित” में बताया है ताकि इनकी उपलब्धता बनी रहे। हालांकि, इससे उन रोगियों पर आर्थिक भार बढ़ सकता है जो इन दवाओं पर निर्भर हैं, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों पर। इस निर्णय के साथ, NPPA ने यह स्पष्ट किया है कि दवाओं की कीमतों को संतुलित करना आवश्यक है ताकि न तो दवाएं अनुपलब्ध हो जाएं और न ही मरीजों को उनकी पहुंच से बाहर हो।