ऑनलाइन गेम खेलने, म्यूजिक और फिल्म देखने के लिए धड़ल्ले से बच्चे भी अब ईयरफोन का इस्तेमाल करने लगे हैं, लेकिन इस आदत के चलते पिछले कई सालों से कान से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। कुछ समय के लिए तो ठीक है, लेकिन अधिक समय तक या रोज इसका यूज कानों पर बुरा असर डालता है। ईयरफोन से आने वाली आवाज ईयरड्रम से करीब से टकराती है और इससे ईयरड्रम को स्थायी नुकसान हो सकता है। इसलिए अगर आपके ईयरफोन या हेडफोन ज्यादातर समय आपके ईयरलोब में प्लग करके बिताते हैं, तो तो अपनी आदत बदल लें क्योंकि इसके नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती।
जानिए ईयरफोन या हैडफोन से होने वाले नुकसान
कान में दर्द- लंबे समय तक हेडफोन या ईयरफोन का यूज करने से कानों में दर्द होना शुरू हो जाता है। पहले ये दर्द हल्का होता है, लेकिन लंबे सयम बाद ये दर्द तेज और कान में भारीपन ला देता है। कानों के अंदर आवाज गूंजने लगती है।
दिमाग पर असर– सुनकर भले ही अजीब लगे लेकिन ये सच है कि आपके हेडफोन की आदत आपके दिमाग पर असर डालती है। ईयफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स दिमाग पर बहुत बुरा असर डालती है। इससे आवाज आने का भ्रम होने लगता है।
कान में दर्द- लंबे समय तक हेडफोन या ईयरफोन का यूज करने से कानों में दर्द होना शुरू हो जाता है। पहले ये दर्द हल्का होता है, लेकिन लंबे सयम बाद ये दर्द तेज और कान में भारीपन ला देता है। कानों के अंदर आवाज गूंजने लगती है।
दिमाग पर असर– सुनकर भले ही अजीब लगे लेकिन ये सच है कि आपके हेडफोन की आदत आपके दिमाग पर असर डालती है। ईयफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स दिमाग पर बहुत बुरा असर डालती है। इससे आवाज आने का भ्रम होने लगता है।
ईयरवैक्स की अधिकता- लगातार ईयरफोन लगाना आपके कानों में ईयरवैक्स की अधिकता का कारण बनता है। कान में मैल जमा होने से कई बार कान में संक्रमण, सुनने की समस्या या टिटनस की शिकायत हो जाती है।
बहरापन- ईयरफोन और हेडफोन को बहुत ज्यादा देर तक प्लग इन रहने से काना की नसों पर दबाव पड़ने लगता है। इससे कई बार नसे फूल जाती है और कान में पस जमने लगता है। कई स्थितियों में कान के पर्दे तक संक्रमण पहुंच जाता है। कान की हर समस्या का अंत सुनने की क्षमता पर जा कर खत्म होता है। कंपन के कारण हेयरिंग सेल्स अपनी संवेदनशीलता खो देती हैं, जिससे व्यक्ति को कम या फिर बिल्कुल सुनाई नहीं देता। इसका इलाज भी नहीं होता है।
बहरापन- ईयरफोन और हेडफोन को बहुत ज्यादा देर तक प्लग इन रहने से काना की नसों पर दबाव पड़ने लगता है। इससे कई बार नसे फूल जाती है और कान में पस जमने लगता है। कई स्थितियों में कान के पर्दे तक संक्रमण पहुंच जाता है। कान की हर समस्या का अंत सुनने की क्षमता पर जा कर खत्म होता है। कंपन के कारण हेयरिंग सेल्स अपनी संवेदनशीलता खो देती हैं, जिससे व्यक्ति को कम या फिर बिल्कुल सुनाई नहीं देता। इसका इलाज भी नहीं होता है।
ईयर इंफेक्शन-कुछ मामलों में लोग अपने हेडफोन अन्य लोगों के साथ शेयर करते हैं। ऐसे में ईयरफोन स्पंज के जरिए बैक्टीरिया और रोगाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाते हैं, जिससे कानों में इंफेक्शन के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसलिए अगर कोई दोस्त स्पंज के साथ आपके ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल कर रहा है, तो आपको दो बार जरूर सोचना चहिए। साथ ही संक्रमण से बचने के लिए इन्हें भी साफ रखना बेहद जरूरी है।
चक्कर आना- चाहे आप म्यूजिक सुनते हों या ईयरफोन लगाकर बात करते हों, इसका यूज लिमिट में ही करें। इसकी तेज आवाज से ईयर कैनल में दबाव पड़ता है। जिससे आपको चक्कर महसूस हो सकते हैं।
चक्कर आना- चाहे आप म्यूजिक सुनते हों या ईयरफोन लगाकर बात करते हों, इसका यूज लिमिट में ही करें। इसकी तेज आवाज से ईयर कैनल में दबाव पड़ता है। जिससे आपको चक्कर महसूस हो सकते हैं।
(डिस्क्लेमर: आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)