मौसमी बीमारियों और इम्युनिटी के लिए काढ़ा पीना चाहिए, लेकिन मौसम, शरीर की प्रकृति और समय के अनुसार। जरूरत से ज्यादा काढ़ा पीने के पांच बड़े नुकसान होते है। तो चलिए जानें कि ज्यादा काढ़ा पीने से क्या नुकसान होते हैं।
काढ़ा पीने के जानिए ये नियम
काढ़ा पीना भर ही काफी नहीं होता है। उम्र, समय और मौसम के अनुसार काढ़ा पीना चाहिए। इसके साथ यह भी ध्यान देना जरूरी है कि काढ़ा आपके शरीर के प्रकृति के अनुसार है या नहीं। यदि शरीर के प्रकृति के अनुसार काढ़ा न हुआ तो वह फायदे से ज्यादा नुकसान करेगा।
काढ़ा पीने के जानिए ये नियम
काढ़ा पीना भर ही काफी नहीं होता है। उम्र, समय और मौसम के अनुसार काढ़ा पीना चाहिए। इसके साथ यह भी ध्यान देना जरूरी है कि काढ़ा आपके शरीर के प्रकृति के अनुसार है या नहीं। यदि शरीर के प्रकृति के अनुसार काढ़ा न हुआ तो वह फायदे से ज्यादा नुकसान करेगा।
रोजाना या ज्यादा काढ़ा पीने से हो सकती हैं ये परेशानियां
1- पेट गैस बनना और जलन होना
काढ़े की प्रकृति गर्म होती है। अगर इसे ज्यादा मात्रा में पीना शुरू कर दिया जाए तो पेट में गैस और जलन की समस्या बढ़ने लगती है।
2- नाक से खून बहना और सूखापन रहना
ज्यादा काढ़ा पीने से नाक के अंदर मौजूद पतली लेयर गर्मी से फट जाती है। इससे नाक से खून आना या बेहद सूखापन होने लगता है।
3- एसिड बनना और अपच की समस्या होना
पित्त की समस्या वाले लोगों में काढ़ा कई बार एसिडीटी की वजह बन जाता है। अपच और सिर दर्द के कारण अधिक कारण पीना बन सकता है।
1- पेट गैस बनना और जलन होना
काढ़े की प्रकृति गर्म होती है। अगर इसे ज्यादा मात्रा में पीना शुरू कर दिया जाए तो पेट में गैस और जलन की समस्या बढ़ने लगती है।
2- नाक से खून बहना और सूखापन रहना
ज्यादा काढ़ा पीने से नाक के अंदर मौजूद पतली लेयर गर्मी से फट जाती है। इससे नाक से खून आना या बेहद सूखापन होने लगता है।
3- एसिड बनना और अपच की समस्या होना
पित्त की समस्या वाले लोगों में काढ़ा कई बार एसिडीटी की वजह बन जाता है। अपच और सिर दर्द के कारण अधिक कारण पीना बन सकता है।
4- मुंह में छाले हो जाना
काढ़ा पेट में गर्मी पैदा करता है और इससे मुंह में छाले बनने की समस्या होने लगती है।
5- बार-बार पेशाब जाना और जलन होना
काढ़ा मूत्रवर्धक होता है। कई बार ये एसिडटी और ज्यादा मात्रा में एलकलाइन बनने के कारण यूरीन पास करने में जलन भी हो सकती है।
मौमस के हिसाब से पीएं काढ़ा
सर्दियों में काढ़ा एक से दो बार पिया जा सकता है, लेकिन गर्मी में काढ़ा पीने की आदत बदलनी होगी। ज्यादा गर्मी में काढ़े की जगह हर्बल जूस पीना ज्यादा फायदेमंद होगा।
काढ़ा पेट में गर्मी पैदा करता है और इससे मुंह में छाले बनने की समस्या होने लगती है।
5- बार-बार पेशाब जाना और जलन होना
काढ़ा मूत्रवर्धक होता है। कई बार ये एसिडटी और ज्यादा मात्रा में एलकलाइन बनने के कारण यूरीन पास करने में जलन भी हो सकती है।
मौमस के हिसाब से पीएं काढ़ा
सर्दियों में काढ़ा एक से दो बार पिया जा सकता है, लेकिन गर्मी में काढ़ा पीने की आदत बदलनी होगी। ज्यादा गर्मी में काढ़े की जगह हर्बल जूस पीना ज्यादा फायदेमंद होगा।
वात, पित्त और कफ की प्रकृति है तो जानें काढ़े कैसा होना चाहिए
काढ़ा बनाने में ज्यादातर गर्म तासीर की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा, इलायची और सोंठ जैसी गर्म सामग्री डाली जाती है। ये सारी चीजें शरीर में गर्मी पैदा करती हैं। ऐसे में ज्यादा काढ़ा पीने से आपको नुकसान हो सकते हैं। अगर आपको कफ विकार है तो आप नियमित रूप से काढ़ा पी सकते हैं। ऐसा करने से कफ खत्म हो जाता है। लेकिन पित्त और वात दोष वाले लोगों को ज्यादा गर्म चीजों से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को काली मिर्च, दालचीनी और सोंठ की मात्रा बहुत कम प्रयोग करनी चाहिए।
काढ़ा बनाने में ज्यादातर गर्म तासीर की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा, इलायची और सोंठ जैसी गर्म सामग्री डाली जाती है। ये सारी चीजें शरीर में गर्मी पैदा करती हैं। ऐसे में ज्यादा काढ़ा पीने से आपको नुकसान हो सकते हैं। अगर आपको कफ विकार है तो आप नियमित रूप से काढ़ा पी सकते हैं। ऐसा करने से कफ खत्म हो जाता है। लेकिन पित्त और वात दोष वाले लोगों को ज्यादा गर्म चीजों से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को काली मिर्च, दालचीनी और सोंठ की मात्रा बहुत कम प्रयोग करनी चाहिए।
(डिस्क्लेमर: आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)