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Prostate cancer and mental health : प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी न करें: शोध रिपोर्ट

Prostate cancer and mental health : हाल ही में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट ने प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रोस्टेट कैंसर की पहचान के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।

जयपुरAug 05, 2024 / 04:00 pm

Manoj Kumar

Prostate cancer and mental health

Prostate cancer and mental health

Prostate cancer and mental health : हाल ही में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट ने प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) के मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रोस्टेट कैंसर की पहचान के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।

मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ता ध्यान Growing focus on mental health

शोध में यह निष्कर्ष सामने आया है कि प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) के मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) समस्याएं आम हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर का पता चलने के बाद 15 प्रतिशत मरीजों ने मानसिक स्वास्थ्य दवाएं लेना शुरू कर दिया, जबकि 6 प्रतिशत ने मानसिक स्वास्थ्य सहायता की मांग की। यह आंकड़े इस बात को उजागर करते हैं कि कई मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें सहायता की आवश्यकता होती है।

Prostate cancer and mental health : मदद की आवश्यकता

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शोधकर्ता, डॉ. टेनॉ तिरुये ने बताया कि शोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) से पीड़ित सभी पुरुषों को मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) सेवाओं और समर्थन की आवश्यकता है। इसके अलावा, कैलिफोर्निया में प्रोस्टेट कैंसर फाउंडेशन के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर दुनिया भर में पुरुषों के बीच कैंसर का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है, और इसके बावजूद, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

अवसाद और चिंता का बढ़ता जोखिम Increased risk of depression and anxiety

शोध में यह भी पाया गया कि प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) के मरीजों में अवसाद और चिंता की दर सामान्य से अधिक है। इसके साथ ही आत्महत्या का जोखिम भी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, 15 प्रतिशत मरीजों ने कैंसर के निदान के बाद चिंता-रोधी और अवसाद-रोधी दवाएं लेना शुरू कर दिया था, जबकि 6 प्रतिशत ने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सहायता प्राप्त की थी।

सहायता की दिशा में बदलाव की आवश्यकता

डॉ. केरी बेकमैन, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ शोधकर्ता, ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने से ही मदद की दिशा में सुधार हो सकता है। रिपोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि मानसिक स्वास्थ्य सहायता को प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) के इलाज का एक अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
उन्हें विश्वास है कि मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर चर्चा करने से, प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुष अपनी चिंताओं को व्यक्त कर सकेंगे और आवश्यक सहायता प्राप्त कर सकेंगे।

इस शोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) के रोगियों की मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और सहायता की उपलब्धता को सुनिश्चित करने से मरीजों की गुणवत्ता जीवन में सुधार हो सकता है और उनके समग्र उपचार प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)

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