क्या Diabetes के कारण बढ़ सकता है Uterine fibroid का जोखिम? जानिए विशेषज्ञों से
Diabetes and uterine fibroids : हाल के दिनों में यह बात सामने आई है कि डायबिटीज (Diabetes) से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
Diabetes and uterine fibroids : हाल के दिनों में यह बात सामने आई है कि डायबिटीज (Diabetes) से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, इस संबंध को पूरी तरह से सिद्ध नहीं किया जा सका है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड: एक परिचय Uterine Fibroids: An Introduction
गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) अहानिकारक ट्यूमर होते हैं जो गर्भाशय की मांसपेशियों में विकसित होते हैं। ये आमतौर पर महिलाओं में उनके प्रजनन वर्षों के दौरान होते हैं। फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के कारण महिलाओं को दर्द, भारी मासिक धर्म और कभी-कभी बांझपन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
Diabetes and Fibroids: Experts Say
गुरुग्राम के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. चेतना जैन का कहना है, “डायबिटीज (Diabetes) और गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के बीच संबंध के संभावित संकेत मिले हैं, लेकिन यह अभी पूरी तरह से सिद्ध नहीं हुआ है।”
डॉ. जैन के अनुसार, डायबिटीज (Diabetes) से जुड़े कारक जैसे कि इंसुलिन प्रतिरोध, मोटापा और पुरानी सूजन, फाइब्रॉएड्स के विकास में योगदान कर सकते हैं। हालांकि, इस संबंध की स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध: जोखिम के संभावित कारक Obesity and insulin resistance: potential risk factors
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के चीफ – एंडोक्रिनोलॉजी, डॉ. धीरज कपूर ने बताया कि टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes) से जुड़ा मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के लिए ज्ञात जोखिम कारक हो सकते हैं। टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) से पीड़ित महिलाएं अधिक वजन और उच्च रक्त शर्करा से जूझ रही होती हैं, जो फाइब्रॉएड्स के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
स्वस्थ जीवनशैली: जोखिम को कम करने के उपाय Healthy lifestyle: ways to reduce the risk
विशेषज्ञों का मानना है कि आहार, व्यायाम और दवा के माध्यम से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करके, डायबिटीज (Diabetes) से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से न केवल मधुमेह का नियंत्रण बेहतर होता है, बल्कि इससे फाइब्रॉएड्स के विकास के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
डायबिटीज (Diabetes) और गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के बीच संभावित संबंध को लेकर अभी पूरी जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस संबंध को समझा जा सके, आगे और अनुसंधान की आवश्यकता है। इस बीच, स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और मधुमेह के जोखिम को नियंत्रित करके, महिलाओं को गर्भाशय फाइब्रॉएड्स (Uterine Fibroids) के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
(आईएएनएस)
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