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जानिए सेल्स में प्रसार के दौरान इम्यून सिस्टम से छिप जाता है कोरोनावायरस – स्टडी

कोरोना को लेकर हर रोज कोई ना कोई चौंकाने वाली खबर आती है । पिछले दो सालों से पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अमेरिकी रिसर्चर्स ने अपनी एक नई स्टडी में पाया है कि एक सेल कोशिका से दूसरे सेल में प्रसार के दौरान सार्स सीओवी-2 इम्यून सिस्टम से छिप जाता है। जिससे सेल्स को वायरसमुक्त करना मुश्किल हो जाता है। अमेरिका की ‘द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी के निष्कर्षों को पीएएनएस यानी प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

Dec 28, 2021 / 10:42 am

MD IMRAN AHMAD

Corona Virus Hides From the Immune System

Corona Virus Hides From the Immune System

नई दिल्ली : अमेरिकी रिसर्चर्स ने अपनी एक नई स्टडी में पाया है कि एक सेल कोशिका से दूसरे सेल में प्रसार के दौरान सार्स सीओवी-2 इम्यून सिस्टम से छिप जाता है।

द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में पशु चिकित्सा बायोसाइंसेज के प्रोफेसर और इस स्टडी मेन राइटर शान-लू लियू ने कहा यह वास्तव में प्रसार का भूमिगत स्वरूप होता है। उन्होंने कहा ‘सार्स सीओवी-2 यानी कोरोना वायरस एक सेल से दूसरे सेल में प्रभावी रूप से इसलिए प्रसारित हो जाता है। क्योंकि इम्यून सिस्टम से जुड़ी इकाइयां उसे रोक नहीं पातीं। वायरस जिस कोशिका को लक्ष्य करता है बाद में वही वायरस का प्रसारक बन जाती है। इस तरह सार्स सीओवी-2 का तेजी से प्रसार होने लगता है और सेल्स को वायरसमुक्त करना मुश्किल हो जाता है।
क्या होता है इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली
इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जो शरीर की बाहरी खतरों से सुरक्षा करती है। जैसे ही कोई वायरस बैक्टीरिया या रोगजनक शरीर पर आक्रमण करते हैं तो अपने आप ही यह प्रणाली सक्रिय हो जाती है और इनसे बचाव की प्रक्रिया शुरु कर देती है। यह बहुत ही जटिल प्रणाली होती है, जो पूरे शरीर में फैली होती है। इसमें अनेक रसायन और भिन्न-भिन्न प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर की रक्षा के लिए अलग-अलग तरीके से काम करती हैं। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ इंसानों में ही होती है यह अन्य जीवों में भी होती हैं जो संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं।
क्या कहते हैं जानकार
डॉ शान-लू लियू और उनके सहयोगियों को सार्स सीओवी-2 के बारे में कुछ नई जानकारियां भी प्राप्त हुईं उन्होंने पाया कि वायरस से जुड़ा स्पाइक प्रोटीन उसे कोशिकाओं के भीतर प्रसार की क्षमता प्रदान करता है। स्पाइक वायरस के प्राइमरी रिसेप्टर से जुड़ा होता है और सेल्स को टारगेट करने का काम करता है। इसके बावजूद प्राइमरी रिसेप्टर कोशिकाओं के बीच वायरस के प्रसार का जरूरी हिस्सा नहीं होता। डॉ लियू के मुताबिक स्पाइक प्रोटीन सार्स सीओवी-2 और सार्स सीओवी दोनों के लिए सेल-टू-सेल ट्रांसमिशन आवश्यक और पर्याप्त है, क्योंकि इन स्यूडोवायरस में एकमात्र अंतर स्पाइक प्रोटीन था। उन अंतरों को और अधिक गहराई से देखने पर रिसर्चर्स ने पाया कि सार्स सीओवी-2 भी लक्षित सेल मेंब्रेन के साथ फ्यूजन में सार्स सीओवी की तुलना में अधिक सक्षम है. यह वायरल इंट्री प्रोसेस में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
वैक्सीन क्या है और यह कैसे काम करती है

अगर हम अंतर्जात प्रतिरक्षा की विविधता और अनुकूलन के बारे में बात करते हैं तो यह सीमित है यानी उपयोग किए जाने वाले रिसेप्टर्स मानक हैं। और केवल एंटीजन पैटर्न को पहचानते हैं। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को अनुकूलित करने के लिए कोई नया रिसेप्टर्स नहीं बनाया जाता है। विशिष्ट प्रतिरक्षा के बारे में दूसरी ओर यह अत्यधिक विविधतापूर्ण है कि यह आनुवंशिक पुनर्संयोजन द्वारा एपिटोप्स और एंटीजेनिक निर्धारकों को पहचानने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।

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