स्वास्थ्य विशेषज्ञ क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) (COPD Dangerous For youth) को लेकर अलर्ट पर है। आंकड़े बताते हैं कि 40 से कम आयु वालों में भी इसका तेजी से निदान बढ़ गया है।
सीओपीडी को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े : COPD Dangerous For youth
सीओपीडी (COPD Dangerous For youth) को लेकर आंकड़े बता रहे है कि 2020 के आंकड़ो के अनुसार इस बीमारी के मामले अनुमानित 480 मिलियन (48 करोड़) मामले थे, जो वैश्विक आबादी का लगभग 10.6% है। इसके अलावा ये बीमारी हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बनती है। साल 2019 में 3.23 मिलियन (32.3 लाख) लोगों की इससे मौत भी हो गई।
सीओपीडी को लेकर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट : WHO report on COPD
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का कहना है कि सीओपीडी (COPD Dangerous For youth) मौत के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। सीओपीडी मामलों में 70 प्रतिशत मामले तो तम्बाकू-धूम्रपान के कारण देखे गए है। सीओपीडी एक ऐसी बीमारी है जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है जिसके कारण जिससे वायुमार्ग के अंदर सूजन और जलन होने की समस्या उत्पन हो जाती है। अध्ययन कहता है कि यदि लंबे समय तक इस बीमारी का पता नहीं चलता है तो यह मौत का कारण बन सकती है। जब व्यक्ति लंबे समय तक धुएं, धूल या रसायनों के संपर्क में लंबे समय तक रहता है तो सीओपीडी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है सीओपीडी के लक्षण : What are the symptoms of COPD
सीओपीडी (COPD Dangerous For youth) के लक्षणों की बात कि जाए तो इसके लक्षण हमें जल्दी से समझ नहीं आते हैं और जब तक समझ नहीं आते हैं जब तक फेफड़े बहुत ज्यादा खराब नहीं हो जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे संकते है जिससे आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं। जैसे सांस लेने में परेशानी होना, बलगम के साथ बहुत ज्यादा खांसी आना, सीने में जकड़न या भारीपन होना, बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना, बिना किसी कारण के वजन कम होना आदि सभी से हम इनको पहचान सकते हैं।
कैसे खुद का बचाया जाए सीओपीडी से : How to protect yourself from COPD
ज्यादातर मामलों में इसका कारण सिगरेट पीने का माना गया है इसलिए हमें सिगरेट पीने से बचना चाहिए। हमें रसायनों-प्रदूषण से बचाव और दिनचर्या को ठीक करना चाहिए। ऐसी समस्या होने पर दवाओं, थेरेपी आदि का सहारा लेना भी जरूरी हो जाता है। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।