साइड-इफेक्ट्स से बचाव की उम्मीद
एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह रिसर्च इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह काम ऐसे उपचार मुहैया कराएगा, जिससे कैंसर रोगियों को कीमो और रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकेगा।
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Omicron Protection: N95 फेस मास्क ओमिक्रॉन कोविड -19 कोरोनावायरस वेरिएंट के खिलाफ आवश्यक हैं, क्यों कीमोथेरेपी में रेडिएशन और अन्य दवाओं का उपयोग होता है, जिनके कई दुष्प्रभाव होते हैं और इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करते हैं, जो गंभीर दर्द और एलर्जी प्रतिक्रिया का कारण बनता है। माइक्रोआरएनए -21 (छोटा गैर-कोडिंग आरएनए) स्तनधारी कोशिकाओं में सबसे प्रचुर मात्रा में माइक्रोआरएनए में से एक है जो एपोप्टोसिस (प्रोग्राम सेल डेथ) और ऑन्कोजेनिक प्रभाव को नियंत्रित करता है।
हेल्दी सेल्स को बचाना हो सकेगा संभव समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रयोग अमेरिका में एक साल तक चला। हालांकि, अभी तक इसका इस्तेमाल मानव शरीर पर नहीं किया गया है। अब इसे मानव शरीर पर लगाने का प्रयास तेज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कैंसर के कारण शरीर में ट्यूमर बन जाते हैं, जिन्हें कीमोथेरेपी और दवाओं के जरिए खत्म किया जाता है। उपचार की इस प्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ सामान्य कोशिकाएं भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कीमो और रेडिएशन थैरेपी के दुष्प्रभाव मिथाइलग्लॉक्सल के उपयोग के बाद रोगियों को कीमो तथा रेडिएशन थैरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी। कीमो और रेडिएशन थैरेपी के दुष्प्रभाव हैं लेकिन जब मिथाइलग्लॉक्सल का उपयोग होता तो वह दुष्प्रभावों से ही नहीं बचेगा, बल्कि उसका उपचार भी सस्ता होगा। इसमें कैंसर रोगी को आर्थिक रूप से बहुत बड़ी राहत ही नहीं मिलती बल्कि उसका जीवन भी बचने की उम्मीद अन्य किसी चिकित्सा उपायों से कई गुना ज्यादा होती है।
उन्होंने बताया कि वह पूर्व में जिन वैज्ञानिकों ने इस उपचार को लेकर शोध किए, उनको आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं।