इंसानों में अब दुर्लभ है प्लेग का वायरस
प्लेग ‘येरसिनिया पेस्टिस’ नामक बैक्टीरिया के कारण होता है और यह रोग संभवत: 1300 के दशक में (1347-1351 B.C.) यूरोप में ब्लैक डेथ नाम की बीमारी का कारण बना था जिससे 7.5 करोड़ से 20 करोड़ लोग कुछ ही महीनों में मौत की नींद सो गए थे। एल डोराडो की जन स्वास्थ्य अधिकारी नैन्सी विलियम्स ने स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी सूचना के अनुसार बताया कि प्लेग कैलिफोर्निया के कई सघन आबादी वाले हिस्सों में पहले से मौजूद है। इसलिए यह जरूरी है कि लोग जब भी घर से बाीर निकलें या अपने पालतुओं को टहलाने ले जाएं तो पूरी सावधानी बरतें। खासकर वॉकिंग, हाइकिंग और कैम्पिंग के दौरान जंगल और नदी-झरनों के आसपास जहां जंगली पिस्सु, कीट और मक्खियां बहुतायत में रहती हैं। मानव में प्लेग का वायरस बहुत दुर्लभ है लेकिन यह बहुत गंभीर मसला भी है। संक्रमित मरीज अभी अपने घर में ही क्वारंटीन है और उसकी सेहत में सुधार हो रहा है।
कैसे फैलता है इंसानों में प्लेग का वायरस
यह बीमारी इतनी खजरनाक थी कि सदियों बाद भी इसका प्रकोप और प्रभाव देखे जा सकते हैं, हालांकि अब यह अपेक्षाकृत इंसानों में बहुत दुर्लभ है और आम एंटीबायोटिक दवाओं के साथ आमतौर पर इलाज योग्य है। अमरीकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, अमरीका में प्लेग के सालाना करीब औसतन सात मामले सामने आते हैं। सीडीसी का कहना है कि प्लेग का वायरस इंसानों में किसी संक्रमित पिस्सू के काटने या संक्रमित जानवर के ऊतक या लार अथवा मल-मूत्र के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। कैलिफोर्निया में पिछली बार 2015 में प्लेग का कोई मामला सामने आया था। अमरीका में प्लेगा का जो सबसे आम स्वरूप है उसे बुबोनिक प्लेग कहते हैं। इस प्रकार के प्लेग के लक्षणों में बुखार आना, मतली होना, शारीरिक थकावट व कमजोरी महसूस होना और सूजन एवं दर्दनाक लिम्फ नोड्स (जिसे बुबोस कहा जाता है) हो सकता है। सीडीसी का कहना है कि इस तरह का प्लेग संक्रामक नहीं है और यह आमतौर पर पिस्सू के काटने से होता है।
ऐसे करें अपनी सुरक्षा
प्लेग के संक्रमण को रोकने के लिए जंगली पिस्सुओं, जानवरों खासकर घायल, बीमार और मृत जीवों को न छुएं। अपने पालतू जानवरों को भी इन जंगली पिस्सुओं से दूर रखें और उनके संपर्क में न आने दें। इसके अलावा सैर या पालतू को टहलाने के लिए जाएं तो पूरी बांह के कपड़े, पेंट या ट्रैकिंग सूट पहनकर जाएं ताकि पिस्सुओं के काटने का भय नहीं रहे। साथ ही ऐसे स्प्रे और दवा का छिड़काव करें जो इस तरह के कीटों को दूर रखता हो।