एस्ट्रोजन हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने में मदद करता है लेकिन गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान शरीर में इसका स्तर कम हो जाता है। इससे हड्डियों का क्षरण बढ़ जाता है। शरीर को कैल्शियम की कमी हो जाती है क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए इस्तेमाल होता है। विटामिन डी की कमी और खून की कमी से हड्डियों कमजोर हो जाती हैं। इसलिए गर्भावस्था से पहले और दौरान इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
कैल्शियम की कमी होने पर गर्भावस्था (Pregnancy) से जुड़ा ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है। हालांकि ये कम ही होता है, लेकिन ऐसी महिलाओं को बच्चे के जन्म के दौरान या जन्म के 8 से 12 हफ्ते बाद हड्डी टूटने की समस्या हो सकती है।
यह भी पढ़ें – प्रेग्नेंसी में जरूर खाएं ये सुपरफूड्स, कंप्यूटर जैसा इंटेलिजेंट पैदा होगा बच्चा गर्भवस्था (Pregnancy) के दौरान महिला को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी होता है। हड्डियों को कमजोर होने से बचाने के लिए कैल्शियम की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी है तो डॉक्टर विटामिन डी3 के सेवन की सलाह दे सकते हैं।
प्रसव के बाद एस्ट्रोजन का स्तर और भी कम हो जाता है। इससे रीढ़, कूल्हे और कलाई की हड्डियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है और इनकी मजबूती कम हो जाती है। बच्चे को जन्म देने के बाद करीब 6 महीने तक हड्डियों का घनत्व तेजी से कम होता है, खासकर उन महिलाओं में जो स्तनपान कराती हैं।
ज्यादातर महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के 12 महीने बाद हड्डियों का घनत्व सामान्य हो जाता है। स्तनपान के कारण कैल्शियम की जरूरत बढ़ जाती है, जिससे हड्डियों कमजोर हो सकती हैं। इसलिए संतुलित आहार, व्यायाम और कैल्शियम की गोलियां लेना बहुत जरूरी होता है।