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ब्यूटी प्रोडक्ट्स से अस्थमा का खतरा, गर्भवती महिलाओं को क्यों सावधान रहना चाहिए

Asthma Risk from Beauty Products : गर्भवती महिलाओं द्वारा सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स, जैसे शैम्पू और लोशन, में पाए जाने वाले रसायनों का बच्चों में अस्थमा और एलर्जी जैसी बीमारियों के खतरे से गहरा संबंध हो सकता है।

जयपुरNov 19, 2024 / 04:46 pm

Manoj Kumar

Asthma Risk for Beauty Products

Asthma Risk for Beauty Products

Asthma Risk from Beauty Products : गर्भवती महिलाओं द्वारा सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स, जैसे शैम्पू और लोशन, में पाए जाने वाले रसायनों का बच्चों में अस्थमा और एलर्जी जैसी बीमारियों के खतरे से गहरा संबंध हो सकता है। हाल ही में क्यूमामोतो यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है।

रसायन और बच्चों में अस्थमा का संबंध

इस अध्ययन में 3,500 से अधिक मां-बच्चे के जोड़ों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जिसमें यह पाया गया कि गर्भावस्था के शुरुआती दौर में ब्यूटाइलपाराबेन (Butylparaben) के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाली माताओं के बच्चों में अस्थमा होने का खतरा 1.54 गुना बढ़ गया। यह रसायन सामान्यतः ब्यूटी और पर्सनल केयर उत्पादों में पाया जाता है।

लड़कों में अस्थमा का खतरा ज्यादा

अध्ययन में यह भी पाया गया कि गर्भवती महिलाओं द्वारा 4-नोनाइलफिनोल (4-nonylphenol) के संपर्क में आने से लड़कों में अस्थमा का खतरा 2.09 गुना बढ़ जाता है। यह रसायन आमतौर पर क्लीनिंग प्रोडक्ट्स और प्लास्टिक में पाया जाता है। हालांकि, इस रसायन का लड़कियों में कोई समान असर नहीं देखा गया।

रसायन का प्रभाव और स्वास्थ्य

रिपोर्ट के अनुसार, नॉनाइलफिनोल जैसे कुछ रसायन एंडोक्राइन डिसरप्टर्स (endocrine disruptors) के रूप में काम करते हैं, जो हार्मोनल प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। पहले के अध्ययनों में यह दिखाया गया था कि इन रसायनों का संपर्क एलर्जी और अस्थमा जैसी बीमारियों में बढ़ोतरी का कारण बन सकता है।

अध्ययन के निष्कर्ष और भविष्य की दिशा

इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. शोहेई कुराओका ने कहा, “यह अध्ययन इस बात की ओर इशारा करता है कि गर्भवती महिलाओं के रसायन संपर्क का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इससे हमें बेहतर दिशा-निर्देश बनाने में मदद मिल सकती है, जिससे मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को सुरक्षित किया जा सके।”
हालांकि, शोधकर्ता इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस अध्ययन में बच्चों में रसायनों की मात्रा का प्रत्यक्ष माप नहीं लिया गया, जो इसके निष्कर्षों को और अधिक मजबूत बना सकता था। भविष्य में इस दिशा में और अधिक अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है ताकि रसायनों के सुरक्षित संपर्क सीमा का निर्धारण किया जा सके।
यह अध्ययन मातृत्व के दौरान रसायनों के संपर्क से बच्चों में होने वाली बीमारियों के जोखिम के बारे में नई जानकारी प्रदान करता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने दैनिक उपयोग के प्रोडक्ट्स के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए और भविष्य में और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है, ताकि इन रसायनों के स्वास्थ्य पर प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

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