2033 तक मामूली वृद्धि की उम्मीद
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में 42.02 मिलियन मामले दर्ज किए गए थे। सालाना 0.10% की दर से बढ़ते हुए, 2033 तक यह संख्या 42.42 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
सात प्रमुख बाजार होंगे प्रभावित
रिपोर्ट बताती है कि यह वृद्धि अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, यूके और जापान में प्रमुख रूप से देखी जाएगी। इन देशों में जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव अधिक होने के कारण बीमारी के मामलों में वृद्धि हो रही है।
रोग के पीछे क्या है कारण?
ग्लोबलडाटा के महामारी विज्ञानी यिक्सुआन झांग के अनुसार, एटोपिक डर्माटाइटिस के सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, आनुवंशिक संवेदनशीलता, पर्यावरणीय कारक और जीवनशैली संबंधी बदलाव इसकी प्रमुख वजहें हो सकती हैं। - हल्के मामले: 44%
- मध्यम मामले: 42%
- गंभीर मामले: 14%
गंभीर मामलों में रोग के लक्षण, जैसे खुजली, नींद की गड़बड़ी, अवसाद और चिंता, रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।
बढ़ते प्रचलन के पीछे जीवनशैली का प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वयस्कों में एटोपिक डर्माटाइटिस की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसका कारण पर्यावरण और जीवनशैली में बदलाव है, जिसमें प्रदूषण, तनाव, और आहार का योगदान हो सकता है।
कम आय वाले देशों में बढ़ता खतरा
हालांकि यह बीमारी उच्च आय वाले देशों में अधिक पाई जाती थी, लेकिन हाल के वर्षों में इसका प्रचलन कम आय वाले देशों में भी बढ़ा है। इन देशों में वयस्कों में इस बीमारी की नई शुरुआत आम हो गई है।
बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक असर
एटोपिक डर्माटाइटिस के मामले अक्सर बचपन में शुरू होते हैं। मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध आबादी में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बीमारी किसी व्यक्ति की सामाजिक और मानसिक स्थिति पर गहरा असर डालती है।
समाज और स्वास्थ्य सेवा पर प्रभाव
ग्लोबलडाटा के अनुसार, एटोपिक डर्माटाइटिस और किसी देश की आर्थिक स्थिति के बीच सकारात्मक सहसंबंध पाया गया है। बढ़ते मामलों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे रोग प्रबंधन के लिए बेहतर नीतियों और उपचार की आवश्यकता है।
एटोपिक डर्माटाइटिस का बढ़ता प्रचलन समाज और स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक चुनौती है। इस दीर्घकालिक त्वचा रोग के प्रबंधन के लिए जागरूकता बढ़ाने, उपचार के नए तरीके विकसित करने और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता है। — आईएएनएस