दो तरह का होता है अस्थमा
अस्थमा दो प्रकार का होता है। बाहरी और आंतरिक अस्थमा। अस्थमा किसी संक्रमण, तनाव, खांसी, एलर्जी, मोटापे या किसी बीमारी के कारण भी हो सकता है।
अस्थमा में किन चीजों को खाएं-what to eat in asthma
अस्थमा दो प्रकार का होता है। बाहरी और आंतरिक अस्थमा। अस्थमा किसी संक्रमण, तनाव, खांसी, एलर्जी, मोटापे या किसी बीमारी के कारण भी हो सकता है।
अस्थमा में किन चीजों को खाएं-what to eat in asthma
पौष्टिक दालें
दालों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है। काला चना, मूंग दाल, सोयाबीन और अन्य कई ऐसी दालें हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। ये दालें फेफड़ों के लिए अच्छी होती हैं इसलिए दमा के मरीजों को इनका सेवन जरूर करना चाहिए। इसके अलावा दालों के सेवन से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।
दालों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है। काला चना, मूंग दाल, सोयाबीन और अन्य कई ऐसी दालें हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। ये दालें फेफड़ों के लिए अच्छी होती हैं इसलिए दमा के मरीजों को इनका सेवन जरूर करना चाहिए। इसके अलावा दालों के सेवन से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।
हरी सब्जियां
फेफड़ों के लिए हरी सब्जियां काफी फायदेमंद होती हैं। हरी सब्जियों को खाने से फेफड़ों में कफ जमा नही हो पाता है, जिससे अस्थमा के रोगियों को अटैक आने जैसी आशंकाएं कम हो जाती हैं। हरी सब्जियों के नियमित सेवन से शरीर की आंतें और फेफड़े भी ठीक तरह से काम करते हैं।
फेफड़ों के लिए हरी सब्जियां काफी फायदेमंद होती हैं। हरी सब्जियों को खाने से फेफड़ों में कफ जमा नही हो पाता है, जिससे अस्थमा के रोगियों को अटैक आने जैसी आशंकाएं कम हो जाती हैं। हरी सब्जियों के नियमित सेवन से शरीर की आंतें और फेफड़े भी ठीक तरह से काम करते हैं।
विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ
विटामिन सी में एंटी ऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो फेफड़ों की सुरक्षा करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अधिक विटामिन सी युक्त पदार्थ खाते हैं, उन्हें अस्थमा का अटैक आने का खतरा कम होता है, इसलिए दमा के मरीजों को खासतौर से संतरा, ब्रोकली, कीवी, खरबूजा जरूर खाना चाहिए।
विटामिन सी में एंटी ऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो फेफड़ों की सुरक्षा करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अधिक विटामिन सी युक्त पदार्थ खाते हैं, उन्हें अस्थमा का अटैक आने का खतरा कम होता है, इसलिए दमा के मरीजों को खासतौर से संतरा, ब्रोकली, कीवी, खरबूजा जरूर खाना चाहिए।
शहद दालचीनी का उपयोग
अस्थमा के मरीजों के लिए शहद और दालचीनी का सेवन काफी लाभप्रद होता है। रात में सोने से पहले दो से तीन चुटकी दालचीनी के साथ एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित खाने से फेफड़ों में आराम मिलता है।
अस्थमा के मरीजों के लिए शहद और दालचीनी का सेवन काफी लाभप्रद होता है। रात में सोने से पहले दो से तीन चुटकी दालचीनी के साथ एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित खाने से फेफड़ों में आराम मिलता है।
तुलसी का सेवन
तुलसी में भी एंटी ऑक्सीडेंट के गुण भरपूर होते हैं, इसलिए चाय में दो से तीन पत्ते तुलसी के डालकर पीने से दमा के मरीजों में अटैक की आशंका कम हो जाती है। तुलसी शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर करती है। मौसमी बीमारियों से बचने में भी तुलसी काफी कारगर औषधि है। दमे के मरीज सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों से जल्दी ग्रसित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें तुलसी का सेवन नियमित करना चाहिए।
तुलसी में भी एंटी ऑक्सीडेंट के गुण भरपूर होते हैं, इसलिए चाय में दो से तीन पत्ते तुलसी के डालकर पीने से दमा के मरीजों में अटैक की आशंका कम हो जाती है। तुलसी शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर करती है। मौसमी बीमारियों से बचने में भी तुलसी काफी कारगर औषधि है। दमे के मरीज सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों से जल्दी ग्रसित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें तुलसी का सेवन नियमित करना चाहिए।
सेब का नियमित सेवन
एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग हफ्ते में चार से पांच सेब खाते हैं, उनमें अस्थमा अटैक की आशंका 32 फीसदी कम हो जाती है। सेब में पाया जाने वाला फ्लैवोनाइड तत्व फेंफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में सहायक होता है, इसलिए सेब खाना दमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग हफ्ते में चार से पांच सेब खाते हैं, उनमें अस्थमा अटैक की आशंका 32 फीसदी कम हो जाती है। सेब में पाया जाने वाला फ्लैवोनाइड तत्व फेंफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में सहायक होता है, इसलिए सेब खाना दमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
कॉफी या ब्लैक टी
कॉफी भी फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला कैफीन एक प्रकार का ब्रॉन्कोलाइटर है, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। शरीर में ऊर्जा भी बढ़ाता है और स्फूर्ति लाता है।
कॉफी भी फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला कैफीन एक प्रकार का ब्रॉन्कोलाइटर है, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। शरीर में ऊर्जा भी बढ़ाता है और स्फूर्ति लाता है।
इन चीजों को डाइट में रोज करें शामिल
हींग, गाजर, आजवाइन, अंजीर के सेवन से भी दमा दूर होता है। अस्थमा में इन चीजों का करें परहेज
दमा के मरीजों को अंडे, गेहूं और सोया से बने पदार्थ नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा कई अस्थमा के रोगियों के लिए पपीता, केला, चीनी, चावल और दही भी नुकसानदायक होता है। साथ ही दमा के मरीजों को तले हुए खाद्य पदार्थ भी नहीं खाने चाहिए।
हींग, गाजर, आजवाइन, अंजीर के सेवन से भी दमा दूर होता है। अस्थमा में इन चीजों का करें परहेज
दमा के मरीजों को अंडे, गेहूं और सोया से बने पदार्थ नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा कई अस्थमा के रोगियों के लिए पपीता, केला, चीनी, चावल और दही भी नुकसानदायक होता है। साथ ही दमा के मरीजों को तले हुए खाद्य पदार्थ भी नहीं खाने चाहिए।