Corneal Infection : एक वैश्विक समस्या
केराटाइटिस संक्रमण (Keratitis infection) , जिसे कॉर्नियल संक्रमण (Corneal Infection) भी कहा जाता है, वैश्विक स्तर पर अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। हर साल इसके कारण लगभग 5 मिलियन लोग दृष्टिहीन होते हैं, और 2 मिलियन से अधिक लोग मोनोकुलर ब्लाइंडनेस (एक आंख से अंधापन) का शिकार होते हैं। यह समस्या विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में गंभीर रूप से फैली हुई है, जहां नेत्र देखभाल सेवाओं तक पहुंच सीमित होती है।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय का मेटा-विश्लेषण
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने केराटाइटिस संक्रमण (Keratitis infection) का पता लगाने के लिए 35 अध्ययनों का मेटा-विश्लेषण किया। उनका निष्कर्ष था कि एआई मॉडल की सटीकता नेत्र विशेषज्ञों के स्तर की है। नेत्र विशेषज्ञों की संवेदनशीलता (82.2%) और विशिष्टता (89.6%) के मुकाबले एआई मॉडल ने 89.2% संवेदनशीलता और 93.2% विशिष्टता हासिल की। यह भी पढ़ें : Blood Sugar को कंट्रोल करता है देसी घी , जानें 8 फायदे विशेषज्ञ की राय: एआई का भविष्य
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. डैरेन टिंग ने इस शोध के परिणामों को एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा, “हमारा शोध इस बात की पुष्टि करता है कि एआई में कॉर्नियल संक्रमण (Corneal Infection) के निदान की अद्वितीय क्षमता है। यह उन क्षेत्रों में विशेष रूप से मददगार साबित हो सकता है जहां नेत्र रोग विशेषज्ञों की उपलब्धता कम है।”
AI का स्वास्थ्य सेवा में योगदान
इस शोध के अनुसार, एआई-संचालित मॉडल उन क्षेत्रों में अत्यधिक लाभकारी हो सकते हैं जहां नेत्र रोग विशेषज्ञों की पहुंच सीमित है। यह न केवल निदान की गति को बढ़ा सकता है, बल्कि दुनिया भर में रोके जा सकने वाले अंधेपन के मामलों को भी कम कर सकता है। इसके अलावा, एआई मॉडल कॉर्नियल संक्रमण (Corneal Infection) के विभिन्न प्रकारों, जैसे जीवाणु या फंगल संक्रमण, और स्वस्थ आंखों के बीच भी भिन्नता पहचानने में सक्षम हैं।
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सावधानी और आगे की संभावनाएं
हालांकि इस शोध ने एआई की प्रभावशीलता को उजागर किया है, लेकिन इसके नैदानिक उपयोग के लिए अधिक विविध डेटा और बाहरी सत्यापन की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि एआई मॉडल की विश्वसनीयता को और मजबूत करने के लिए सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और अधिक अध्ययन की आवश्यकता होगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न केवल नेत्र विशेषज्ञों के काम को सरल बना सकता है, बल्कि उन क्षेत्रों में नेत्र देखभाल में सुधार भी ला सकता है, जहां विशेषज्ञता की कमी है।