कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने कई शिकायतों के आधार पर सड़क किनारे की दुकानों से लगभग 260 नमूने एकत्र किए। इनमें से 22 प्रतिशत पानी पुरी गुणवत्ता परीक्षणों में विफल रहे। लगभग 41 नमूनों में कृत्रिम रंग और कैंसर पैदा करने वाले तत्व पाए गए, जबकि 18 नमूने बासी और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाए गए।
कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग ने जून के अंत में चिकन कबाब, मछली और सब्जियों के व्यंजनों में कृत्रिम रंगों के उपयोग पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का आदेश जारी किया था।
मार्च में, कर्नाटक ने गोबी मंचूरियन और कॉटन कैंडी में उपयोग किए जाने वाले कृत्रिम रंग एजेंट रोडामाइन-बी पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। एस्टर सीएमआई अस्पताल, बेंगलुरु की हेड ऑफ सर्विसेज – क्लिनिकल न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स, एडविना राज ने बताया, “व्यंजन को अधिक आकर्षक और स्वादिष्ट बनाने के लिए अधिक मात्रा में कृत्रिम खाद्य रंग और स्वाद एजेंटों का उपयोग करने से स्वास्थ्य पर कई जोखिम होते हैं, खासकर उन लोगों में जो बार-बार बाहर का खाना खाते हैं,” ।
“खाद्य पदार्थों में ऐसे सिंथेटिक तत्वों का अधिक मात्रा में सेवन करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और आंतों के स्वास्थ्य में सूजन बढ़ती है,” उन्होंने कहा।
विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि इससे बच्चों में अति सक्रियता, एलर्जी के लक्षण और अस्थमा के दौरे हो सकते हैं। इसके अलावा, अगर पानी पुरी में इस्तेमाल किया गया पानी दूषित है तो इससे टाइफाइड जैसी खाद्यजनित बीमारियाँ भी हो सकती हैं।
कृत्रिम खाद्य रंग खाद्य उत्पादों में उनकी दृश्य अपील और स्थिरता बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं, जिससे स्वाद में सुधार होता है और उपभोक्ता संतुष्टि सुनिश्चित होती है। हालांकि, खाद्य पदार्थों में सनसेट येलो, कार्मोसिन और रोडामाइन-बी जैसे रंगों के उपयोग से कई स्वास्थ्य जोखिम होते हैं।
एडविना ने बताया कि कृत्रिम एजेंटों के बजाय आप चुकंदर, हल्दी, केसर के धागे आदि का उपयोग करके प्राकृतिक रंग और स्वाद वाले खाद्य पदार्थ खा सकते हैं। (आईएएनएस)