एक बातचीत के में अनन्या ने बताया कि वह अपने
स्टारडम को कैसे अपनाती है। अनन्या का कहना है कि ये सिंड्रोम किसी साधारण सी बात से शुरू होती है, जैसे कि जब कोई मेरा नाम लेता है। इंटरव्यू और अन्य चीजों के दौरान, मुझे लगता है कि मेरा नाम वास्तव में मेरा नहीं है, और यह मुझे तीसरे व्यक्ति जैसा महसूस कराता है। जब ऐसा होता है तो मुझे अचानक किसी और की तरह बनने का मन करता है।
क्या होता है Imposter syndrome
Imposter syndrome वह सिंड्रोम होता है जिसमें व्यक्ति अपने को कमजोर समझने लगता है और दूसरे से कम समझता है। जब कोई व्यक्ति इससे पीड़ित होता है तो वह हमेशा भम्र बना रहता है वह रंग-रूप, शिक्षा, करियर, आर्थिक-सामाजिक स्थिति की दृष्टि से अपने आसपास के लोगों की तुलना में काफी पीछे है या पिछड़ता जा रहा है। यही सोचकर वह इतना निराश हो जाता है कि खुद आगे बढ़ने की कोशिश भी नहीं करता और तनाव, डिप्रेशन से घिरता जाता है। Imposter syndrome के लक्षण
Imposter syndrome पीड़ित व्यक्ति के लक्षणों की बात कि जाए तो वह हमेशा कई चीजों से घिरा हुआ रहता है। जैसे
- आत्मविश्वास में कमी
- कोई भी काम शुरू करने से पहले मन में डर बना रहना
- अपनी योग्यता औऱ क्षमता पर संदेह करना
- हमेशा चिंतित और उदास रहना
- किसी भी काम की शुरुआत से पहले असफलता के बारे में सोचना
Impestor syndrome के बचाव
Imposter syndrome बचाव के लिए आपको अपनों से खुलकर बातचीत करें। अपनी परेशानियां करीबियों से जरूर शेयर करें। नियमित रूप से योग और मेडिटेशन करने की कोशिश करें। फिटनेस के साथ ही इससे मन शांत और तनावमुक्त रहता है। इन कोशिशों के बावजूद भी अगर मनोदशा में कोई सुधार न हो तो क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें। आमतौर पर काउंसिलिंग से यह समस्या दूर हो जाती है।