यदि लंबे समय तक
डायबिटीज के मरीज सफेद चावल का सेवन करते हैं तो उनका ब्लड शुगर असंतुलित हो सकता है। इससे मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और अन्य बीमारियां होने का खतरा बना रहता है, क्योंकि इसमें अन्य राइस की तुलना में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में डायबिटीक लोग ब्राउन राइस खाते हैं, जो कि एक हेल्दी विकल्प माना जाता है। लेकिन इसी श्रेणी में ब्लैक राइस का प्रचलन भी बढ़ा है, जो कई मायनों में फायदेमंद माना जा रहा है।
ब्लैक राइस में मौजूद पोषक तत्व Nutrients present in black rice
दरअसल काले-बैंगनी रंग के इन चावलों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इन्हें बेहद हेल्दी माना जाता है। ये पचने में आसान होते हैं और कई बीमारियों से शरीर को बचाते हैं। ब्लैक राइस में एंटीऑक्सीडेंट एंटी कैंसर गुणों के एजेंट के साथ प्रोटीन,आयरन और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
बलैक राइस के फायदे benefits of black rice
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर प्रोटीन, फाइबर और आयरन का एक अच्छा स्रोत होने के अलावा, काला चावल विशेष रूप से कई एंटीऑक्सीडेंट में उच्च होता है। एंटीऑक्सिडेंट ऐसे कंपाउंड होते हैं जो आपकी कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के रूप में जाने वाले अणुओं के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव हृदय रोग, अल्जाइमर और कैंसर के कुछ रूपों सहित कई पुरानी स्थितियों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। कैंसर से बचाता है काले चावलों (Black Rice) में एंथोसायनिन होता है जो इनके काले-बैंगनी रंग के लिए जिम्मेदार है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर विरोधी गुण भी होते हैं। आंखों के लिए फायदेमंद
काले चावल (Black Rice) में एंटीऑक्सीडेंट ल्यूटिन और ज़ीएक्सैंथिन पाया जाता है, जो आंखों की रक्षा करता है और उन्हें बीमारियों से बचाता है। काले चावल को खाने से आंखों की रोशनी तेज हो सकती है।
दिल की सेहत का रखें ख्याल एक रिसर्च के अनुसार ब्लैक राइस (Black Rice) गुड़ कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर बेड़ कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसलिए जब शरीर में गुड़ कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है तो हार्ट संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
सूजन कम करने में फायदेमंद काले चावल में एंटी इंन्फलेमेटरी गुण पाया जाता है जो हमारे सुजन बढने की समस्या से निजात दिलाता है। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।