कोरोना संक्रमण का खतरा फिर से बढ़ा है और साथ में गर्मी भी कई संक्रमण के खतरे बढ़ा दी है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी इम्युनिटी को लेकर गंभीर रहें। तो चलिए जानें कि किन संकेतों से पता चलता है कि इम्युनिटी कमजोर है और उसका उपचार क्या हो सकता है।
कमजोर इम्युनिटी के संकेत और उपचार-signs and treatment of weak immunity पेट संबंधी बीमारियों से ग्रस्त होना
इम्युनिटी का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा पेट में ही होता है और तभी बैक्टीरिया वायरस, फंगस, जैसे टॉक्सिन से लड़ने में कारगार होता है। अगर आपको पेट संबंधित बीमारियां, इंफेक्शन आदि बार-बार होते हैं तो ये कमजोर इम्युनिटी का संकेत है। इम्यून कमजोर होने से ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। उल्टी, दस्त, कब्ज-गैस की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं।
इम्युनिटी का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा पेट में ही होता है और तभी बैक्टीरिया वायरस, फंगस, जैसे टॉक्सिन से लड़ने में कारगार होता है। अगर आपको पेट संबंधित बीमारियां, इंफेक्शन आदि बार-बार होते हैं तो ये कमजोर इम्युनिटी का संकेत है। इम्यून कमजोर होने से ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। उल्टी, दस्त, कब्ज-गैस की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं।
उपचार
पेट में होने वाली इन समस्याओं से बचने के लिए आपको खानपान पर विशेष ध्यान देना होगा। लिक्विड डाइट ज्यादा लें और ऐसी चीजें लें जिनमें प्रोबॉयोटिक्स ज्यादा हो, जैसे दही या फरमेंटिड फूड। ये आपके पेट और आंत में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाएंगे और इससे आपका इम्युन भी मजबूत होगा।
पेट में होने वाली इन समस्याओं से बचने के लिए आपको खानपान पर विशेष ध्यान देना होगा। लिक्विड डाइट ज्यादा लें और ऐसी चीजें लें जिनमें प्रोबॉयोटिक्स ज्यादा हो, जैसे दही या फरमेंटिड फूड। ये आपके पेट और आंत में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाएंगे और इससे आपका इम्युन भी मजबूत होगा।
चोट या घाव भरने में समय लगना
इम्युनिटी कमजोर होने का संकेत है कि आपकी छोटी सी चोट, घाव या फोड़ा-फुंसी भी जल्दी सही नहीं होगा। क्योंकि इम्युनिटी कमजोर होने से नई कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पता और घाव सूखने की प्रक्रिया स्लो होती है।
इम्युनिटी कमजोर होने का संकेत है कि आपकी छोटी सी चोट, घाव या फोड़ा-फुंसी भी जल्दी सही नहीं होगा। क्योंकि इम्युनिटी कमजोर होने से नई कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पता और घाव सूखने की प्रक्रिया स्लो होती है।
उपाय
ब्लड में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली घाव भरने और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी है। इसके लिए विटामिन के, डी और सी के साथ जिंक बहुत जरूरी है। डाइट में इन चीजों को बढ़ाएं। शरीर को विटामिन से कोलेजन की जरूरत होती है। विटामिन के ब्लड में को जमाने और विटामिन सी और डी घाव भरने में मदद करते हैं। जिंक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
ब्लड में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली घाव भरने और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी है। इसके लिए विटामिन के, डी और सी के साथ जिंक बहुत जरूरी है। डाइट में इन चीजों को बढ़ाएं। शरीर को विटामिन से कोलेजन की जरूरत होती है। विटामिन के ब्लड में को जमाने और विटामिन सी और डी घाव भरने में मदद करते हैं। जिंक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
हर समय थकान महसूस होना
अच्छी नींद के बाद भी थकान महसूस होना या थोड़ा काम कर के भी थक जाना थकी हुई इम्युनिटी का संकेत है। नींद ना आना भी इम्युनिटी कमजोर को बताता है। आंख के नीचे डार्क सर्कल होना या शरीर में दर्द होना भी कमजोर इम्यून सिस्टम की निशानी है।
अच्छी नींद के बाद भी थकान महसूस होना या थोड़ा काम कर के भी थक जाना थकी हुई इम्युनिटी का संकेत है। नींद ना आना भी इम्युनिटी कमजोर को बताता है। आंख के नीचे डार्क सर्कल होना या शरीर में दर्द होना भी कमजोर इम्यून सिस्टम की निशानी है।
उपचार
नियमित तौर पर योग और व्यायाम ह्रदय के लिए लाभकारी होता है और शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। ये ना केवल हमारे तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है बल्कि थायरॉइड ग्रंथियों को भी उत्तेजित करता है, जिससे थकान और आलस दूर होता है।
नियमित तौर पर योग और व्यायाम ह्रदय के लिए लाभकारी होता है और शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। ये ना केवल हमारे तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है बल्कि थायरॉइड ग्रंथियों को भी उत्तेजित करता है, जिससे थकान और आलस दूर होता है।
मौसमी बीमारियों या संक्रमण जल्दी होना
बार-बार मौसमी बीमारी के चपेट में आना, सर्दी-जुकाम से परेशान रहना, एलर्जी का जल्दी होना कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की ओर इशारा करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बनाता है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
बार-बार मौसमी बीमारी के चपेट में आना, सर्दी-जुकाम से परेशान रहना, एलर्जी का जल्दी होना कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की ओर इशारा करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बनाता है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
उपचार
धूम्रपान- शराब पीने से कमजोरर इम्युनिटी होती है। किसी भी तरह के नशे से दूर रहें और विटामिन सी युक्त चीजों को ज्यादा खाएं। खट्टे फल और मिनरल्स डाइट में शामिल करें। रफेज की मात्रा डाइट में बढ़ा दें। सूरजमूखी, कद्दू या सब्जा के बीज खाना शुरू कर दें।
धूम्रपान- शराब पीने से कमजोरर इम्युनिटी होती है। किसी भी तरह के नशे से दूर रहें और विटामिन सी युक्त चीजों को ज्यादा खाएं। खट्टे फल और मिनरल्स डाइट में शामिल करें। रफेज की मात्रा डाइट में बढ़ा दें। सूरजमूखी, कद्दू या सब्जा के बीज खाना शुरू कर दें।
चिंता और तनाव
चिंता औऱ तनाव शरीर में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स छोड़ता है जो हमारे शरीर लिम्फोसाइट्स की संख्या में कमी कर इम्युनिटी को प्रभावित करता है। हमेशा तनाव और चिंता में रहने से न्यूट्रिशियस चीजें भी शरीर को नहीं लगतीं और धीरे-धीरे इम्युनिटी वीक होने लगती है।
चिंता औऱ तनाव शरीर में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स छोड़ता है जो हमारे शरीर लिम्फोसाइट्स की संख्या में कमी कर इम्युनिटी को प्रभावित करता है। हमेशा तनाव और चिंता में रहने से न्यूट्रिशियस चीजें भी शरीर को नहीं लगतीं और धीरे-धीरे इम्युनिटी वीक होने लगती है।
उपाय
मेडिटेशन और योग के साथ डाइट में ओमेगा3 और 6 युक्त चीजों को बढ़ा दें। ये स्ट्रेस को हरने वाले होते हैं। विटामिन डी युक्त डाइट लें और लाफिंग एक्सरसाइज करें। हंसने के दौरान हमारे शरीर में एंटी वायरल कोशिकाएं तेजी से बनती है और हमारा इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है।
मेडिटेशन और योग के साथ डाइट में ओमेगा3 और 6 युक्त चीजों को बढ़ा दें। ये स्ट्रेस को हरने वाले होते हैं। विटामिन डी युक्त डाइट लें और लाफिंग एक्सरसाइज करें। हंसने के दौरान हमारे शरीर में एंटी वायरल कोशिकाएं तेजी से बनती है और हमारा इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है।
तो इन संकेतों को पहचान कर अपनी इम्युनिटी का पता करें और संकेतों के आधार पर इलाज करें। डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।