आपको पता होगा कि प्राचीन मिस्र दुनिया की पहली सभ्यताओं में से एक था। वहाँ के डॉक्टर बीमारियों और चोटों का इलाज करते थे, कृत्रिम अंग लगाते थे और दांतों की भी भराई कर देते थे।
प्राचीन मिस्र के डॉक्टर थे कितने आगे? 4,000 साल पुरानी खोपड़ी बता रहीं अद्भुत कहानी
यह पता लगाने के लिए कि वे इलाज के मामले में कितने आगे थे, वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने दो खोपड़ियों का अध्ययन किया – एक पुरुष की और एक महिला की। दोनों खोपड़ियाँ हज़ारों साल पुरानी हैं। खोपड़ियों पर मिले निशान बताते हैं कि उस ज़माने में मिस्र के डॉक्टर दिमाग के ट्यूमर और कैंसर का इलाज करने की कोशिश करते थे। यह रिसर्च पेपर जर्नल ‘Frontiers in Medicine’ में छपा है।
यह भी पढ़ें – शौक बन सकता है खतरा, टैटू से हेपेटाइटिस, एचआईवी और कैंसर का खतरा
क्या कैंसर का इलाज हजारों साल पुराना है?
स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ सैंटियागो डे कम्पोस्टेला के डॉक्टर एडगार्ड कैमरोस इस खोज को अद्भुत बताते हैं। उनके अनुसार यह इस बात का सबूत है कि 4,000 साल पहले मिस्र के डॉक्टर कैंसर का इलाज करने की कोशिश कर रहे थे। दोनों खोपड़ियों में से एक (Skull and Mandible 236) 2687 से 2345 ईसा पूर्व की है और यह 30 से 35 साल के किसी पुरुष की है। दूसरी खोपड़ी (Skull E270) 663 से 343 ईसा पूर्व की है और यह 50 साल से ज़्यादा उम्र की किसी महिला की है।
पहली खोपड़ी (236) की सूक्ष्म जांच में पता चला है कि उसमें एक बड़ा घाव था जो शायद किसी गांठ का था। साथ ही खोपड़ी पर करीब 30 छोटे-छोटे घाव भी मिले हैं जो शायद इस बीमारी के फैलने के कारण बने होंगे। इन घावों को किसी धातु के औज़ार से बनाया गया होगा।
यह भी पढ़ें – डायबिटीज की इस दवा से होगा कैंसर का खतरा कम ? जानिए कैसे हो सकता है ये कमाल जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ ट्यूबिंगन की शोधकर्ता तातियाना टोंडिनी कहती हैं कि “जब हमने पहली बार सूक्ष्मदर्शी से इन निशानों को देखा तो हमें यकीन नहीं हुआ।”
दूसरी खोपड़ी (E270) के अध्ययन में भी एक बड़ा घाव मिला जो कैंसर के ट्यूमर की तरह था। इस कारण हड्डियाँ भी कमज़ोर हो गई थीं। खोपड़ी पर दो और निशान भी मिले जो किसी चोट के कारण बने थे और उनका इलाज भी किया गया था।
अंत में वैज्ञानिकों का कहना है कि हालाँकि आजकल की ज़िंदगी और वातावरण में मौजूद चीज़ें कैंसर का खतरा बढ़ा देती हैं, लेकिन यह बीमारी पहले भी हुआ करती थी।