दरअसल पीड़ित परिवार के गांव काे ठाकुर बाहुल्य गांव बताया जाता है। गुरुवार को पीड़िता के पिता ने अपने गांव काे ठाकुर बाहुल्य गांव बताते हुए असुरक्षा की भावना जाहिर की थी और सरकार से किसी अन्य स्थान पर मकान दिलवाए जाने की मांग की थी। अब उन्हाेंने अपने इस फैंसले काे बदल लिया है और कहा है कि गांव में ही रहेंगे। उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। उन पर बेटी की हत्या का आराेप लगाया जा रहा है जाे निराधार है। ऐसी साजिशों से वह डरने वाले नहीं हैं।
एक सवाल के जवाब में पीड़ित परिवार के मुखिया ने कहा कि बेटी काे खाेने के बाद वह परेशान हैं, परिवारजनाें में गुस्सा है। गुस्से में काेई बात कह दी लेकिन गांव में पुस्तैनी जमीन है। तीन-तीन पीढ़ियां गांव में रह ही हैं। ऐसे में अपनी जमीन छोड़कर अपना गांव छोड़कर कैसे जाएंगे ? इस तरह अब पीड़ित परिवार के मुखिया ने साफ कर दिया है कि वाह गांव छाेड़कर नहीं जाएंगे। सरकार से की गई अपनी कहीं ओर मकान दिलाए जाने की मांग काे वापस लेंगे।
पीड़ित परिवार के मुखिया के इस बयान के बाद एक बार फिर से पीड़ित परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। परिवार के मुखिया का कहना है कि गांव में रहकर ही वह न्याय के लिए लड़ाई लड़ेंगे।