हरदोई में आजादी की क्रांति के नायक वीर शहीद राजा नरपत सिंह की याद में प्रिया कड़ी में स्मारक का निर्माण 2000 के दशक में तो हो गया था लेकिन आज भी इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित नहीं किया जा सका है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सोमवंशी और क्षेत्रीय लोगों के तमाम प्रयासों के चलते इस मार्ग का लोकार्पण पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था तमाम लोगों की भावनाएं विश्वास जुड़ा हुआ है करीब 100 एकड़ में स्मारक के आसपास हरियाली क्षेत्र और झील और तालाब स्थित है जिसके चलते पिछले लंबे समय से इस चित्र को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग की जा रही है व्यास स्मारक समिति के अध्यक्ष धर्म सिंह सोमवंशी , कोषाध्यक्ष नवल महेश्वरी सहित समाज से जुड़े लोग और जिले के लोग इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं अशोक सिंह मुनौरापुर बताते हैं की क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित कराये जाने के लिए उन्होंने कई बार तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह से समिति के पदाधिकारियों के साथ मुलाकात की थी और ज्ञापन भी दिए थे तत्कालीन सांसद जयप्रकाश ने भी प्रयास किए जिसके चलते स्मारक बन गया लेकिन अभी भी पर्यटन स्थल बनाए जाने की मांग अधूरी है।
लोगों ने बताया कि स्मारक को लेकर के शासन-प्रशासन के स्तर से कोई सुविधाएं न दिए जाने से बदहाली है। यहां पर विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं लेकिन क्षेत्रीय विधायक आशीष सिंह आशु लगातार प्रयास कर रहे हैं, जिससे करीब 100 एकड़ वाले इस स्मारक एरिया के पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने की उम्मीद है।
भारतीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं कि ऐसे वीर सपूत की महान गाथा को समेटे स्मारक स्थल को पर्यटन स्थल बनाया जाना चाहिए, ताकि पूरे विश्व में यहां की वीर गाथा को लोग जाने और भृमण करने आ सकें। भारतीय कृषक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज दीक्षित कहते हैं कि रुइया गढ़ी स्मारक के अध्यक्ष एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में हम सब लोगों ने यहां पद यात्रा की और आज भी धर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में हम लोग लगातार इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं। बताया कि धर्मेंद्र सिंह के प्रयासों के चलते ही स्मारक का निर्माण हो गया लेकिन अभी भी पर्यटन स्थल की मांग अधूरी है और शासन प्रशासन की तरफ से इस ओर ध्यान न दिए जाने के कारण इस ऐतिहासिक और वीर गाथा के प्रतीक स्थल का विकास और देखभाल नहीं हो रही है।