ऐसा ही स्टाफ के एक बुरे व्यवहार का मामला हरदा से सामने आया है, जहां स्टाफ के एक झूठ के कारण एक बीमार महिला को सर्द भरी पूरी रात जिला अस्पताल परिसर की पाल में ठंड में बितानी पड़ी।
स्टाफ के इस झूठ के कारण 18 घंटे बाहर बिताने को मजबूर किया
दरअसल हरदा जिला अस्पताल परिसर में रात भर से सर्द हवा में खुले में परिवार के साथ बैठी बीमार महिला के बेटे ने बताया कि मां के सीने में फोड़ा था जिसके चलते वह अपनी मां को गुरुवार दोपहर में जिला अस्पताल आये थे। जहां से शाम 5 बजे बुजुर्ग महिला को भोपाल रैफर कर दिया गया।
इस दौरान अस्पताल कर्मियों ने एम्बुलेंस के आने का झूठ बोलकर उन्हें अस्पताल के बाहर इंतजार करने को कह दिया, लेकिन गुरुवार शाम 5 बजे से शुक्रवार सुबह 11 बजे तक एम्बुलेंस नही आई। जिसके चलते महिला अपने बेटों के साथ गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात में तक पूरे समय जिला अस्पताल परिसर की पाल पर लेट कर ठंड में बितानी पड़ी। महिला का नाम अमरती बाई पति अमरसिंह जाती कोरकू निवासी चंद्रखाल है।
ऐसे नहीं है कि प्रदेश में यह पहला अस्पताल है जहां के स्टाफ ने मानवीयता ही भूला दी हो, ध्यान रहे प्रदेश में ऐसे कई अस्पताल है जहां मानवीयता को काफी हद तक भूलाया जा चुका है। इनमें चाहे शवों के लिए एम्बूलेंस न देना हो या मरीजों के लिए समय पर एम्बूलेंस न पहुंचना हो या एम्बूलेंस द्वारा पैसे की मांग करना हो ये सब प्रदेश के अनेक अस्पतालों में धड़ल्ले से चल रहा है। इसके अलावा अस्पताल में तक मानवीयता को ताक पर रखना प्रदेश के अस्पतालों में आम हो गया है।
ऐसा ही एक ह्दय विदारक मामला जबलपुर से तक कुछ समय पहले सामने आया था जहां समय पर इलाज न मिलने के चलते एक मासूम ने अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया था। दरअसल ये मामला मध्य प्रदेश में जबलपुर (Jabalpur) के बरगी विकासखंड स्थित शासकीय आरोग्यम अस्पताल (Government Arogyam Hospital) का है। जहां घंटों डॉक्टर का इन्तजार करने के बावजूद इलाज न मिलने से एक मासूम ने अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया था।
वहीं इस हृदय विदारक घटना से आक्रोशित परिजनों और क्षेत्रीय लोगों ने जिम्मेदार अस्पताल स्टाफ पर कार्रवाई की मांग की थी। जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग (Jabalpur Health Department) की बड़ी लापरवाही ने एक गरीब परिवार का चिराग छीन लिया था। एक 5 साल के मासूम बच्चे ने समय से इलाज न मिल पाने के कारण अपनी ही मां की गोद में दम तोड़ दिया था।
दरअसल, बरगी के नजदीकी ग्राम तिनेहटा देवरी से बालक ऋषि (उम्र 5 वर्ष) को इलाज के लिए सुबह के समय अस्पताल लाया गया, तो उस समय वहां पर पदस्थ डॉक्टर और बाकी स्टाफ आये ही नहीं थे। जिसके बाद डॉक्टरों और बाकी स्टाफ का यहां बच्चे के माता-पिता उसके इलाज के लिए घंटों इंतजार करते रहे। इस दौरान दोपहर के 12 बज गए जिसके चलते बच्चे की तबियत बिगड़ती गई। वहीं खास बात तो ये थी कि डॉक्टर की ड्यूटी सुबह 10.30 बजे से थी, लेकिन वह यहां दोपहर 12 बजे के बाद आये, तब तक इलाज के लिए अस्पताल के सामने अपनी मां की गोद में लेटे मासूम बच्चे ने दम तोड़ दिया था।