बदला हुआ था मंच का नजारा:
आमतौर पर जब भी कबीर गायन या अन्य लोकगायन की बात होती है तो मंच पर रंग बिरंगे साफे बांधे हाथ में तंबूरा थामे और हारमोनियम लिए पुरुष ही नजर आते हैं। मालवा में सजे भजनों के इस मंच पर नजारा इससे अलग था। हरदा से पांदा गांव पहुंची मालवा महिला कबीर यात्रा में महिलाओं ने मंच संभाला। कबीर सहित अन्य प्रसिद्ध संत कवियों की रचनाएं अलग अंदाज में सुनाई। यहां पुरुष वादय यंत्रों पर उन्हें संगत दे रहे थे।इस कार्यक्रम को धरती की बानी हेलियों ( सहेलियों ) की जुबानी नाम दिया गया। एकलव्य संस्था ने कबीर जनविकास समूह, कबीर सेवा संस्थान और नगर पंचायत टोंकखर्द के सहयोग से आयोजन किया।