scriptगढ़ कार्तिक मेला: गंगा के किनारे बसने लगा तंबुओं का नगर, श्रद्धालुओं ने लगाई एकादशी पर आस्था की डुबकी | Dev uthani ekadashi 2021 devotees take holy dip in ganga at brajghat | Patrika News
हापुड़

गढ़ कार्तिक मेला: गंगा के किनारे बसने लगा तंबुओं का नगर, श्रद्धालुओं ने लगाई एकादशी पर आस्था की डुबकी

इस समय तीर्थ नगरी ब्रजघाट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग रहा है। चारों तरफ टेंटों की नगरी बसी हुई है वहीं रागनी और धार्मिक भजनों से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। देवोत्थान एकादशी के अवसर पर ब्रजघाट में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। देवोत्थान एकादशी दो दिन होने के कारण आज भी श्रद्धालुगण गंगा में डुबकी लगाने के लिए कोने-कोने से पहुंचे।

हापुड़Nov 15, 2021 / 02:13 pm

Nitish Pandey

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हापुड़. देवोत्थान एकादशी के मौके पर ब्रजघाट तीर्थनगरी में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और गंगा के किनारे ही भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की रस्म अदा कराई। इस दौरान रविवार को मेला स्थल पर करीब 3 लाख और ब्रजघाट में करीब 2 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि शाम तक श्रद्धालुओं की संख्या मे काफी बढ़ोतरी होगी।
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गढ़ खादर में भर रहे कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले में दूसरा पर्व कहलाए जाने वाली देवोत्थान एकादशी पर रविवार की सुबह ही गंगा किनारे श्रद्धालुओं आगमन शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने मोक्ष दायिनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं ब्रजघाट तीर्थनगरी में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी यूपी के जनपदों से आए भक्तों ने पतित पावनी में डुबकी लगाई।
गंगा में डुबकी लगाने के बाद भक्तों ने किनारे पर बैठे पंडितों से भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की कथा सुन उन्हें दक्षिणा दी। इस दौरान गन्ना, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूंगफली, मूली समेत विभिन्न प्रकार की सामग्री से पूजा अर्चना भी की गई। खादर मेले में पड़ाव डाल चुकीं महिलाओं ने अपने टैंट-तंबुओं में पूजा अर्चना कर भगवान शालिगराम और तुलसी के विवाह की रस्म भी अदा कराईं।
ब्रजघाट में महानगरों से आए धनाढ्यों ने गरीब-निराश्रितों को भोजन और गरम वस्त्रों का दान कर पुण्यार्जित किया। शिव मंदिर के पुजारी पंडित रोहित शास्त्री ने बताया कि श्रावणी मास की शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में चले जाते हैं। जिससे इस दौरान विवाह-शादी जैसे मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह रोक लग जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को सूर्य नारायण भगवान विष्णु क्षीर सागर से जाग जाते हैं, जिन्होंने इस दिन सर्वप्रथम तुलसी से विवाह रचाया था।

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