गढ़ खादर में भर रहे कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले में दूसरा पर्व कहलाए जाने वाली देवोत्थान एकादशी पर रविवार की सुबह ही गंगा किनारे श्रद्धालुओं आगमन शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने मोक्ष दायिनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं ब्रजघाट तीर्थनगरी में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी यूपी के जनपदों से आए भक्तों ने पतित पावनी में डुबकी लगाई।
गंगा में डुबकी लगाने के बाद भक्तों ने किनारे पर बैठे पंडितों से भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की कथा सुन उन्हें दक्षिणा दी। इस दौरान गन्ना, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूंगफली, मूली समेत विभिन्न प्रकार की सामग्री से पूजा अर्चना भी की गई। खादर मेले में पड़ाव डाल चुकीं महिलाओं ने अपने टैंट-तंबुओं में पूजा अर्चना कर भगवान शालिगराम और तुलसी के विवाह की रस्म भी अदा कराईं।
ब्रजघाट में महानगरों से आए धनाढ्यों ने गरीब-निराश्रितों को भोजन और गरम वस्त्रों का दान कर पुण्यार्जित किया। शिव मंदिर के पुजारी पंडित रोहित शास्त्री ने बताया कि श्रावणी मास की शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में चले जाते हैं। जिससे इस दौरान विवाह-शादी जैसे मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह रोक लग जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को सूर्य नारायण भगवान विष्णु क्षीर सागर से जाग जाते हैं, जिन्होंने इस दिन सर्वप्रथम तुलसी से विवाह रचाया था।