बबली गुर्जर ने ग्रेटर नोएडा के एक कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद एक नामचीन कंपनी में कुछ सालों तक नौकरी की। उसके बाद बबली ने नौकरी छोड़कर सहफसली खेती करनी शुरू कर दी। परिवार में काफी विरोध हुआ, लेकिन इरादे पर डटे रहे और नतीजा यह हुआ कि सभी अब सराहना कर रहे हैं।
60 बीघा जमीन के मालिक बबली के पिता को जमीन से कुछ खास आमदनी नहीं हो पा रही थी। अपने लक्ष्य को पाने के लिए बबली ने एक दिन नौकरी छोड़ दी। कुछ वर्ष इधर-उधर भटकने के बाद बबली ने एग्री-बिजनेस शुरू करने की ठान ली। दो भाइयों में बड़े बबली ने पिता की 60 बीघे जमीन में सहफसली खेती करके आय को दोगुना नहीं तीन गुना करने की ठानी। शुरुआत में बबली ने महज छह बीघा खेत में केले की फसल बोई है।
खास बात रही कि केले के साथ ही बबली गुर्जर ने गन्ने भी बोया। जिसमें केले की पैदावार शानदार हुई, वहीं करीब 15 फुट लंबा गन्ना हुआ। जिसको देखने के लिए कृषि विभाग के अफसरों के अलावा दूर-दूर से किसान भी उमड़ पड़े।
बबली का दावा है कि इससे करीब 50 से 55 हजार रुपये बीघा प्रति वर्ष की आय हुई। जबकि पहले महज 15 से 20 हजार रुपये बीघा आय बमुश्किल हो पाती थी। वह अब सहफसली खेती को पूरे 60 बीघे जमीन में कर रहे हैं।