प्रकरण के अनुसार हंसराज सिंह निवासी 30 एसएसडब्ल्यू ने 29 मार्च 2018 को टाउन थाने में अपने चाचा काशीराम (55) पुत्र खेताराम निवासी 30 एसएसडब्ल्यू की हत्या का मामला दर्ज कराया था। उसने पुलिस को रिपोर्ट दी थी कि ओमप्रकाश उर्फ भैरू पुत्र बीरबलराम, नानूराम पुत्र बीरबल राम, लूणाराम पुत्र बीरबलराम व रामप्रताप पुत्र पृथ्वीराम तथा एक बाल अपचारी सभी निवासी 30 एसएसडब्ल्यू ने घर में घुसकर उसके चाचा काशीराम पर लाठियों व गंडासियों से हमला किया। इससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उनको बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
दुकान में घुसकर ई-मित्र संचालक पर फायरिंग, गले में गोली लगी
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जांच में आरोप प्रमाणित मानकर कोर्ट में चालान पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन ने कुल 25 गवाह परीक्षित करवाए तथा 49 दस्तावेज प्रदर्शित कराए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी ओमप्रकाश, उसके भाई नानूराम व लूणाराम तथा रामप्रताप को आईपीसी की धारा 302, 325, 323, 427, 460, 459, 449, 148, 147 में दोषी करार देकर आजीवन कारावास तथा अर्थदण्ड से दण्डित किया।
गए जेल में, अब कौन लगाएगा पानी
प्रकरण के अनुसार आरोपियों व मृतक में डिग्गी के पानी को लेकर विवाद था। इस बात को लेकर उनमें पूर्व में भी झगड़ा हो चुका था। इसी रंजिश के चलते तीन भाई ओमप्रकाश, नानूराम व लूणाराम ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर काशीराम की हत्या कर दी। जिस पानी को खेत में लगाने के लिए वारदात को अंजाम दिया गया, अब दोषी बरसों तक उस खेत को भी नहीं देख पाएंगे। क्योंकि एक ही परिवार के तीन जने सलाखों के पीछे चले गए हैं। जमीन, पानी वगैरह के झगड़े अक्सर ऐसे अपराधों में बदल जाते हैं कि परिवार ही बर्बाद हो जाते हैं।