Chambal Dacoit : इस डकैत से पूर्व सीएम भी थे परेशान, जेल की सलाखोें में कटेगी जिंदगी
MP Chambal Dacoit Gudda Gurjar : इतिहास के पन्नों को पलटें तो चंबल के खूंखार डाकुओं के नाम आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं, जिनके खौफ से सिर्फ ये क्षेत्र ही नहीं, बल्कि देश तक कांपता था। आपराधिक गलियों में एक नाम कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर का भी है।
MP Chambal Dacoit Gudda Gurjar : चंबल का नाम सुनते ही अकसर लोगों के जहन में खूंखार डकैतों का ख्याल आ जाता है। हालांकि, ये क्षेत्र कई ज्ञानियों और महार्थियों द्वारा देशहित में दिए योगदान को लेकर भी जाना जाता है, लेकिन इतिहास के पन्नों को पलटें तो यहां खूंखार डाकुओं के नाम आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं, जिनके खौफ से सिर्फ ये क्षेत्र ही नहीं, बल्कि देश तक कांपता था। आपराधिक गलियों में एक नाम कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर का भी है। कभी दो राज्यों में इस डकैत का आतंक था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। गुड्डा डकैत पर कानून का शिकंजा कस चुका है। हालही में कोर्ट ने गुड्डा को उम्रकैद की सजा सुनाई है। हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए मुरैना कोर्ट के इस फैसले ने कई लोगों के दिलों में मौजूद इस कुख्यात डकैत की दहशत का अंत किया है।
डकैत गुड्डा गुर्जर पर 3 हत्या, हत्या करने की कोशिश के 5 और डकैती के दर्जनों मामले दर्ज है। लाखों रूपए की फिरौती लेने वाले गुड्डा गुर्जर ने पुलिस के पसीने छुड़ा दिए थे। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई कर गुर्जर को सलाखों के पीछे किया था। गुड्डा गुर्जर के खौफ और जेल तक जाने की कहानी जानने के लिए बने रहे इस खबर के साथ।
मुरैना कोर्ट ने इस अपराध पर दी सजा
डकैत गुड्डा गुर्जर ने साल 4 अक्टूबर 2017 में शक के आधार पर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया था। दरअसल गुड्डा गुर्जर को शक था कि बानमोर के पहाड़ी गांव के जाखौदा निवासी जीतेन्द्र गुर्जर ने उसके साथियों को पकड़वाने में पुलिस की मदद की थी। इसी का बदला लेने के लिए गुड्डा ने योजना के तहत जीतेन्द्र को गोली मारी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। मुरैना कोर्ट ने इसी अपराध पर फैसला सुनते हुए उसे उम्रकैद की सजा दी है।
टेरर टैक्स के नाम पर वसूले लाखों रूपए
गुड्डा गुर्जर के अपराधों की लिस्ट में एक नाम टेरर टैक्स का भी जुड़ा है जिसके डम पर उसने लोगों से लाखों-करोड़ों रूपए वसूले। गुड्डा गांवों में फायरिंग करके लोगों को डराता था और टेरर टैक्स के नाम पर सभी से 500-500 रूपए वसूलता था। गुड्डा के शिकार में छोटे मजदूरों से लेकर मोटे रकम रखने वाले कई व्यापारियों के नाम शामिल है। पैसे न देने वाले व्यापारियों और कारखानों के मालिकों के मजदूरों का अपहरण कर गुड्डा अपनी मनचाही रकम वसूल करता था।
बता दें कि पुलिस तो पुलिस सरकार भी गुड्डा गुर्जर के आतंक से परेशान हो गई थी। गुड्डा ने अपने अपराध के साम्राज्य को बढ़ाने के लिए चांचुल गांव को खाली करने का फरमान जारी कर दिया था। जिसके बाद सरकार भी गुड्डा गुर्जर से परेशान हो गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि, ‘डकैत गुड्डा गुर्जर की वजह से प्रदेश की छवि खराब हो रही है। उसका तुरंत सफाया करो।’
ऐसे हुआ गुड्डा गुर्जर के खौफ का अंत
गुड्डा गुर्जर के अपराधों को देखते हुए सरकार एक्शन मोड में आ गई और पुलिस को उसके खात्मे का आर्डर दे दिया। पुलिस ने गुर्जर को पकड़ने के लिए सर्च ऑप्रेशन शुरू किया। सर्च ऑप्रेशन चलाने वाले एडिशनल एसपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि, ‘ग्वालियर से करीब 50 किलोमीटर दूर घाटीगांव-भंवरपुरा में हमे डकैत गुड्डा गुर्जर के मूवमेंट की लोकेशन मिली। जिसके बाद 14 ऑफिसर की टीम के साथ हम घाटीगांव के पास बसता के जंगल पहुंचे। काफी खोज के बाद हमारा सामना गुड्डा की गैंग से हुआ। पुलिस और डकैतों के बीच दो घंटे तक करीब 100 राउंड की फायरिंग हुई। मुठभेड़ में गुड्डा के पैर में गोली लग गई जिस वजह से हमने उसे पकड़ लिया लेकिन उसके बाकी साथी वहां से फरार हो गए।’ पुलिस ने गुड्डा को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया।
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