अजयपुर के पूर्व सरपंच भूपेंद्र कुशवाह आज सुबह हनुमान बांध, वीरपुर बांध को भरने वाली मुख्य नहर को देखने पहुंचे तो पानी आने की जगह डायवर्ट हो रहा था। इस मामले की शिकायत उन्होंने अफसरों से की, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। अगर समय रहते नहर पर एक्शन लिया जाता तो आगे के सभी बांध भरे जा सकते थे।
ऐसे आया पानी
दिनांक | लेवल | पानी |
11 जुलाई | 713.60 | 667.094 |
18 जुलाई | 715.60 | 803.010 |
19 जुलाई | 719.00 | 1086 |
तिघरा में आया 84 दिन का पानी
तिघरा में गुरुवार की शाम तक करीब 3.4 फीट पानी पहुंचा है, जो 282 एमसीएफटी पानी होता है, इससे शहर को करीब 28 दिन का पानी मुहैया कराया जा सकता है। इस सीजन का आंकड़ा देखें तो करीब 5.4 फीट पानी अब तक बारिश से तिघरा में पहुंच चुका है, जिससे तिघरा में वर्तमान में 1086 एमसीएफटी पानी स्टोर हो गया है, जो करीब 84 दिनों तक शहर को पानी मुहैया करा सकता है। इस अब प्रकार अक्टूबर तक तिघरा पानी दे सकता है। अभी तिघरा को करीब 19 फीट पानी और चाहिए, तब जाकर अगले साल तक का जल संकट टल सकेगा।
वीरपुर बांध 11 फीट भरा पानी
यहां करीब 11 फीट तक पानी भर चुका है, जिससे आस पास के लोगों को राहत मिली है, क्योंकि जलस्तर तेजी से गिर रहा था। हालांकि अभी तक इसके बॉल्व से पानी की निकासी नहीं हो रही है, जिसकी निगरानी क्षेत्र के लोगों द्वारा की जा रही है।
हनुमान बांध बर्बाद हो गया पानी
यहां पर डैम की फूटी दीवारों से पानी स्वर्ण रेखा में बहकर बर्बाद हो गया। यहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का कोई फायदा पानी बचाने के लिए नहीं हुआ है। अगर डैम की दीवार को पुन: पुराने स्वरूप में बना दिया जाए, तो सैकड़ों एमसीएफटी पानी स्टोर किया जा सकता है।
नहीं हुआ कोई असर
मुख्य नगर से हिम्मतगढ़ के लिए पानी चला गया, इसे रोकने के लिए प्रशासन कार्रवाई करता तो शहर के आस पास के सभी बांधों को भरा जा सकता था। अब भी प्रशासन एक्शन ले तो शहर को जल संकट से बचाया जा सकता है।
भूपेंद्र सिंह कुशवाह, पूर्व सरपंच, अजयपुर
बोला है अफसरों को
इस मामले से जल संसाधन विभाग के अफसरों को अवगत करा दिया है। उन्होंने कार्रवाई करने की बात कही है।
आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री पीएचई नगर निगम