ग्वालियर

हां ये ग्वालियर के हिस्से का पानी थी जो बह गया, अधिकारी न पहले चिंतित थे और न अब हैं

हां ये ग्वालियर के हिस्से का पानी थी जो बह गया, अधिकारी न पहले चिंतित थे और न अब हैं

ग्वालियरJul 20, 2018 / 01:49 pm

Gaurav Sen

हां ये ग्वालियर के हिस्से का पानी थी जो बह गया, अधिकारी न पहले चिंतित थे और न अब हैं

ग्वालियर। शहर में जल संकट के नाम पर 9 करोड़ रुपए खर्च कर तिघरा में पानी लाने वाले अफसर और नेता शहर के बांधों को भरने के लिए चिंतित नहीं हैं। मामला स्वर्ण रेखा नदी पर बने पांच बांधों से जुड़ा है, जिन्हें भरने वाली नहर में से पानी हिम्मतगढ़ की ओर चला गया और हमारे सभी बांध पानी की राह देखते रह गए, इसके लिए मुख्य जिम्मेदार नहर पर बने स्टॉप डैम का डिजायन भी है। हिम्मतगढ़ की ओर वाली डैम की दीवार छोटी है, वहीं ग्वालियर की ओर डैम की दीवार ऊंची है, इस वजहसे पानी ग्वालियर की ओर आने की जगह हिम्मतगढ़ की ओर चला गया।

अजयपुर के पूर्व सरपंच भूपेंद्र कुशवाह आज सुबह हनुमान बांध, वीरपुर बांध को भरने वाली मुख्य नहर को देखने पहुंचे तो पानी आने की जगह डायवर्ट हो रहा था। इस मामले की शिकायत उन्होंने अफसरों से की, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। अगर समय रहते नहर पर एक्शन लिया जाता तो आगे के सभी बांध भरे जा सकते थे।

ऐसे आया पानी

दिनांकलेवलपानी
11 जुलाई713.60667.094
18 जुलाई715.60803.010
19 जुलाई719.001086
नोट : लेवर फीट में पानी की मात्रा एमसीएफटी में

तिघरा में आया 84 दिन का पानी
तिघरा में गुरुवार की शाम तक करीब 3.4 फीट पानी पहुंचा है, जो 282 एमसीएफटी पानी होता है, इससे शहर को करीब 28 दिन का पानी मुहैया कराया जा सकता है। इस सीजन का आंकड़ा देखें तो करीब 5.4 फीट पानी अब तक बारिश से तिघरा में पहुंच चुका है, जिससे तिघरा में वर्तमान में 1086 एमसीएफटी पानी स्टोर हो गया है, जो करीब 84 दिनों तक शहर को पानी मुहैया करा सकता है। इस अब प्रकार अक्टूबर तक तिघरा पानी दे सकता है। अभी तिघरा को करीब 19 फीट पानी और चाहिए, तब जाकर अगले साल तक का जल संकट टल सकेगा।

वीरपुर बांध 11 फीट भरा पानी
यहां करीब 11 फीट तक पानी भर चुका है, जिससे आस पास के लोगों को राहत मिली है, क्योंकि जलस्तर तेजी से गिर रहा था। हालांकि अभी तक इसके बॉल्व से पानी की निकासी नहीं हो रही है, जिसकी निगरानी क्षेत्र के लोगों द्वारा की जा रही है।

हनुमान बांध बर्बाद हो गया पानी
यहां पर डैम की फूटी दीवारों से पानी स्वर्ण रेखा में बहकर बर्बाद हो गया। यहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का कोई फायदा पानी बचाने के लिए नहीं हुआ है। अगर डैम की दीवार को पुन: पुराने स्वरूप में बना दिया जाए, तो सैकड़ों एमसीएफटी पानी स्टोर किया जा सकता है।

नहीं हुआ कोई असर
मुख्य नगर से हिम्मतगढ़ के लिए पानी चला गया, इसे रोकने के लिए प्रशासन कार्रवाई करता तो शहर के आस पास के सभी बांधों को भरा जा सकता था। अब भी प्रशासन एक्शन ले तो शहर को जल संकट से बचाया जा सकता है।
भूपेंद्र सिंह कुशवाह, पूर्व सरपंच, अजयपुर


बोला है अफसरों को
इस मामले से जल संसाधन विभाग के अफसरों को अवगत करा दिया है। उन्होंने कार्रवाई करने की बात कही है।
आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री पीएचई नगर निगम

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